क्रिसिल का अनुमान: नौ फीसदी तक बढ़ सकता है बैंकों का एनपीए, इस वजह से घटा खतरा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बैंकों का सकल एनपीए चालू वित्त वर्ष के दौरान 8-9 फीसदी बढ़ सकता है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने मंगलवार को बताया कि, सकल एनपीए में यह बढ़ोतरी 2017-18 के 11.2 फीसदी के उच्चतम स्तर से काफी नीचे होगी।
मुंबई। देश की अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाली क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार बैंकों का सकल एनपीए यानि बैंकों का डूबता हुआ धन चालू वित्त वर्ष के दौरान 8-9 फीसदी बढ़ सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्ज पुनर्गठन व्यवस्था और आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) जैसे कोविड-19 राहत उपाय बैंकों के सकल एनपीए में जोखिम को सीमित करने में मददगार होंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बैंकों का सकल एनपीए चालू वित्त वर्ष के दौरान 8-9 फीसदी बढ़ सकता है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने मंगलवार को बताया कि, सकल एनपीए में यह बढ़ोतरी 2017-18 के 11.2 फीसदी के उच्चतम स्तर से काफी नीचे होगी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कर्ज पुनर्गठन व्यवस्था और आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) जैसे कोविड-19 राहत उपाय बैंकों के सकल एनपीए में जोखिम को सीमित करने में मददगार होंगे।
2021-22 अंत तक कुल बैंक कर्ज के करीब दो फीसदी हिस्से का पुनर्गठन हो सकता है, जबकि तनावग्रस्त संपत्तियां (सकल एनपीए और पुनर्गठन के तहत लोन बुक) इस दौरान 10-11 फीसदी के स्तर पर पहुंच सकती हैं।
रिपोर्ट्स में क्रिसिल के वरिष्ठ निदेशक एवं डिप्टी चीफ रेटिंग्स अधिकारी कृष्णन सीतारमन ने कहा कि खुदरा और एमएसएमई क्षेत्र में इस बार एनपीए एवं तनावग्रस्त संपत्तियों में उच्च वृद्धि देखने को मिल सकती है। खुदरा क्षेत्र में तनावग्रस्त संपत्तियां 4-5 फीसदी बढ़ सकती हैं, जबकि एमएसएमई क्षेत्र में 17-18 फीसदी बढ़ने की आशंका है। बैंकों के कुल कर्ज में इन दोनों क्षेत्रों की हिस्सेदारी 40 फीसदी है।
एजेंसी का दावा घट सकता है एनपीए
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (एनएआर) के चालू वित्त वर्ष के अंत तक परिचालन में आने और पहले चरण में 90,000 करोड़ रुपये के एनपीए की संभावित बिक्री से सकल एनपीए में कमी आ सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कॉरपोरेट क्षेत्र अधिक मजबूत हुआ है। पांच साल पहले संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा के दौरान कंपनियों में ज्यादातर तनावग्रस्त संपत्तियों की पहचान पहले ही हो चुकी है। इससे कंपनियों के बहीखाते मजबूत हुए हैं।
वे खुदरा और एमएसएमई के मुकाबले महामारी की चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटने में सक्षम हैं। इससे कॉरपोरेट क्षेत्र में तनावग्रस्त संपत्तियों के चालू वित्त वर्ष में 9-10 फीसदी रहने का अनुमान है।
यह होता है नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए)
नॉन-परफॉर्मिंग एसेट यानी गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) ऋणों एवं एडवांस के लिए एक वर्गीकरण को संदर्भित करती है जो डिफॉल्ट या बकाया राशि (एरियर) में हैं। कोई लोन एरियर में तब होता है जब मूलधन या ब्याज भुगतान में देरी होती है या उसे अदा नहीं किया जाता।
बेहतर है भारतीय बैंकों का भविष्य
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारतीय बैंकों के भविष्य को देखते हुए घरेलू बैंकिंग प्रणाली के परिदृश्य को नकारात्मक से स्थिर कर दिया है। मूडीज ने कहा कि महामारी की शुरुआत के बाद से खुदरा कर्ज की गुणवत्ता में गिरावट आई है, लेकिन यह एक सीमा तक हुआ है क्योंकि व्यापक रूप से नौकरियां छूटने की समस्या नहीं देखी गई है।
इसके अलावा, आर्थिक सुधार के साथ कर्ज वृद्धि में सालाना 10-13 फीसदी तेजी की संभावना है। कॉरपोरेट कर्ज की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, जो बताता है कि बैंकों ने इस वर्ग में पुरानी समस्याओं वाले सभी कर्ज को मान्यता दी है।
उन्हें लेकर प्रावधान किया है। मूडीज ने कहा कि अगले 12-18 महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहेगा। 2021-22 में आर्थिक वृद्धि में 9.3 फीसदी और उसके अगले वित्त वर्ष में 7.9 फीसदी वृद्धि होगी।
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