भारत के इस समाज में कई हजार सालों से मान्य है ‘लिव इन रिलेशनशिप‘

टीम भारत दीप |
अपडेट हुआ है:

कई बार तो लोग कई बच्चे पैदा होने के बाद शादी करते हैं।
कई बार तो लोग कई बच्चे पैदा होने के बाद शादी करते हैं।

मेला में लड़का-लड़की आपस में मिलते हैं और भाग जाते हैं। वापस आने पर दोनों को साथ रहने के लिए कुछ पैसे दिए जाते हैं।

परंपरा डेस्क। आजकल जिस लिव इन रिलेशनशिप का दौर युवा के बीच चल पड़ा है, दरअसल वह भारत के एक समाज में कई सालों से अपनाई जा रही है। राजस्थान में एक ऐसी ही जनजाति है जो इस दापा प्रथा के नाम से इसे करीब एक हजार साल से मान रही है।

आपको बता दें कि राजस्थान में पाई जाने वाली गरासिया जनजाति में दापा प्रथा के तहत लड़के-लड़की अपने पसंद का जीवन साथी चुनने के लिए स्वतंत्र होते हैं।

यहां तक कि साथी पसंद आने पर कई साल तक बिना शादी के साथ दोनों एक साथ रहते हैं। यदि इस दौरान महिला गर्भवती भी हो जाए तो परिवार वाले शादी करा देते हंै। कई बार बच्चा न पैदा होने पर साथी बदलने का प्रावधान भी रहता है। 

1 हजार साल पुरानी परंपरा

गरासिया जनजाति में करीब एक हजार साल से दापा प्रथा को मान्यता है। इसके तहत लड़के-लड़कियों को शादी के पवित्र बंधन में बंधने से पहले साथ में रहना होता है। दोनों के बच्चे पैदा होने पर परिवारीजन खुशी-खुशी शादी भी करा देते हंै। यह जनजाति राजस्थान के उदयपुर सिरोही और पाली जिले में पाई जाती है।

परंपरा के अनुसार शादी से पहले आपस में एक दूसरे साथ रहकर बच्चा पैदा करने होते हंै। बच्चे को जन्म देते ही दोनों परिवार अपने बच्चे को बुलाकर उनकी शादी करवा देते हैं।

शादी के लिए बच्चे जरूरी

यदि दोनों साथ रहने के बाद भी बच्चे नहीं पैदा कर पाते है तो अलग होकर दूसरा साथी चुनकर बच्चे पैदा करने की कोशिश करते हैं। इस समाज में दो दिन का मेला लगता है।

मेला में लड़का-लड़की आपस में मिलते हैं और भाग जाते हैं। वापस आने पर दोनों को साथ रहने के लिए कुछ पैसे दिए जाते हैं। कई बार तो लोग कई बच्चे पैदा होने के बाद शादी करते हंै। 

अभी हाल ही में एक 80 साल के बुजुर्ग ने 70 साल की अपनी पार्टनर के साथ शादी की। इस शादी में उन दोनों के बच्चों के अलावा पोते-पोती भी शामिल हुए थे। 

प्राचीन मान्यता
इस परंपरा को मानने के पीछे एक बहुत पुरानी कहावत चली आ रही है। गरासिया जनजाति के के अनुसार उनकी जनजा​ति के चार भाई यहां बसे थे। इनमें से तीन भाई ने समाज की रीति के अनुसार शादी की और चैथा भाई समाज की कुंवारी लड़की के साथ रहने लगा।

तीन भाईयों को कोई संतान नहीं हुई। चैथे भाई को कई संतान र्हुइं। उसी की संतान से उनका वंश चला। तभी इस जनजाति में शादी से पहले किसी के साथ रहकर बच्चे पैदा करने की परंपरा चल पड़ी है।


संबंधित खबरें