मध्यप्रदेश में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या हुई 21, गांव में हर तरफ रूदन
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मालूम हो कि जिस गांव में जहरीली शराब ने मौत का तांडव खेला, उस गांव के लोगों ने पांच साल पहले शराब न पीने की कसम खाई थी, लेकिन लोगों ने अपनी कसम तोड दी नतीजा यह हुआ कि पांच साल बाद ही जहरीली शराब ने मौत का तांडव ऐसा खेला कि इस गांव में एक दो नहीं बल्कि 21 लोगों की मौत हो गई।
मुरैना- मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या बढकर 21 हो गई। मालूम हो कि सोमवार से जलरीली शराब पीने से शुरू हुआ मौत का तांडव अभी भी जारी है।
मंगलवार देर रात तक मरने वालों की संख्या 15 हो गई थी, जो बुधवार सुबह बढकर 21 पर पहुंच गई। बिलैयापुर और चिचैयापुर गांव के दो लोगों ने बुधवार सुबह दम तोड़ दिया। अब मरने वालों की संख्या बढकर 19पहुंच गई।
वहीं जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए स्थानीय थाना प्रभारी और जिला आबकारी अधिकारी पर कार्रवाई की थी मालूम हो कि अक्टूबर माह में उज्जैन जिले में जहरीली शराब पीने से 11 लोगों की मौत के बाद प्रदेश सरकार ने अवैध शराब का कारोबार करने वालों पर कार्रवाई के आदेश दिए थे ।
यह आदेश कुछ दिनों में ही कागजी हो गई और फिर गांव -गांव जहरीली शराब बनने लगी और जमकर नशा करने लगा। इसका नतीजा यह हुआ कि तीन महिने बाद ही मध्यप्रदेश के चंबल अंचल के मुरैना जिले में जहरीली शराब पीने से 21 लोगों की अब तक मौत हो गई।
हर तरफ से रूदन की आवाज
जहरीली शराब पीने से हुई मौत के बाद मुरैना के दो -तीन गांवों में हर तरह रूदन और रोने विलखने के स्वर सुनाई दे रहे है। जब एक घर से एक साथ तीन लोगों के शव उठे तो हर कोई रो पडा। गांव में जगह मृतकों के परिजनों को ढांढस बधाने वालों का तांता लगा है।
प्रशासन स्तर पर कार्रवाई तो जारी है, लेकिन जो काल के गाल में समा गए क्या वह वापस आएंगे। मुख्यंत्री शिवराज सिंह चौहान इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताकर जांच कराने की बात कर रहे है।
क्या इस बार शराब कारोबार पर शुरू होने वाला यह अभियान प्रदेश से अवैध शराब कारोबार को खत्म करेगा,यह तो देखने वाली बात है, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही से गांव -गांव अवैध रूप से केमिकल से शराब बनाकर बेची जा रही है।
पांच साल पहले यहां हुई थी शराब बंदी
मालूम हो कि जिस गांव में जहरीली शराब ने मौत का तांडव खेला, उस गांव के लोगों ने पांच साल पहले शराब न पीने की कसम खाई थी, लेकिन लोगों ने अपनी कसम तोड दी नतीजा यह हुआ कि पांच साल बाद ही जहरीली शराब ने मौत का तांडव ऐसा खेला कि इस गांव में एक दो नहीं बल्कि 19 लोगों की मौत हो गई।
पांच साल पहले जब महापंचायत हुई थी सभी लोगों ने शराब से दूर रहने की कसम खाई थी, अगर उन्हें यह कसम याद रहती तो आज इतनी मौतें नहीं होती अभी भी कई लोग अस्पताल में मौत और जिंदगी की जंग लड रहे है।
उज्जैन की घटना ने नहीं लिया सबक
मालूम हो कि इसके पहले उज्जैन में अक्टूबर महीने में जहरीली शराब पीने से 16 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद प्रदेश भर में अवैध शराब को लेकर अभियान चलाया गया था, इसके बाद भी मुरैना शहर से लगे हिस्से में अवैध शराब बिक रही थी और पुलिस सोती रही। अगर उज्जैन की घटना से सबक लिया गया होता तो शायद यह घटना न होती और लोगों की जान बच जाती।
केमिकल कम-ज्यादा होने से जानलेवा
मुरैना जिले में पदस्थ रहे आबकारी अधिकारी ने बताया कि देशी शराब ओपी (शराब बनाने का केमिकल) और पानी से मिलकर बनती है। इसमें जैसे ही ओपी और पानी का अनुपात गड़बड़ाता है तो यह घातक हाे जाता है। यह केमिकल जहर का काम करता है। इससे लीवर और तिल्ली सिकुड़ने से जान चली जाती है।