बाबरी विध्वंस: 28 साल बाद फैसला, सभी आरोपी बरी, कोर्ट ने कहा-पूर्व नियोजित नहीं थी घटना
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FIR नंबर 198 संघ के कार्यकर्ताओं समेत आडवाणी, जोशी, तत्कालीन शिवसेना नेता बाल ठाकरे, उमा भारती आदि के खिलाफ थी।
अयोध्या। 6 दिसंबर 1992 में ढहाई गई बाबरी मस्जिद मामले में आज 28 साल बाद फैसला आ गया। इस मामले में सभी 49 आरोपी थे लेकिन मामला इतना लंबा खिंचा कि 17 आरोपियों की सुनवाई के दौरान ही मौत हो चुकी है। फैसला आने के बाद सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि घटना पूर्व सुनोयोजित नहीं था। सुबह से ही पूरे देश की निगाहें इस बड़े फैसले पर टिकी थी कि न्यायालय का फैसला क्या आता है। फैसला आने के बाद सभी आरोपियों ने राहत की सांस ली होगी।
बाबरी विध्वंस केस में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरने के बाद फैजाबाद में दो एफआईआर दर्ज कराई गई थी। एफआईआर नंबर 198 लाखों कार सेवकों के खिलाफ थी जबकि FIR नंबर 198 संघ के कार्यकर्ताओं समेत आडवाणी, जोशी, तत्कालीन शिवसेना नेता बाल ठाकरे, उमा भारती आदि के खिलाफ थी।
बाबरी विध्वंस केस की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एस के यादव अगर इस मामले में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार और साध्वी रितंभरा समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
इस मामले में महंत नृत्य गोपाल दास, राम विलास वेदांती, राम मंदिर ट्रस्ट के चंपत राय, सतीश प्रधान, धरम दास भी आरोपी थे। इसके अलावा सांसद ब्रजभूषण सिंह, पूर्व विधायक पवन कुमार पांडेय, जय भगवान गोयल और ओम प्रकाश पांडेय, सांसद लल्लू सिंह, मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, आचार्य धर्मेंद्र देव, रामजी गुप्ता, प्रकाश शर्मा, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर और कारसेवकों रामचंद्र खत्री, सुखबीर कक्कर, अमन नाथ गोयल, संतोष दुबे, विनय कुमार राय, कमलेश त्रिपाठी, गांधी यादव, विजय बहादुर सिंह, नवीन भाई शुक्ला पर भी मुश्किल की घड़ी अब खत्म हो गई है।