दीपोत्सव आज: जानिए लक्ष्मी पूजा विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और उत्तम समय

टीम भारत दीप |

माता लक्ष्मी की आरती जरूर करें और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं।
माता लक्ष्मी की आरती जरूर करें और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं।

दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करके खुश करने अवसर होता है। अगर मां लक्ष्मी खुश हो जाए तो भक्तों के सारे कष्ट मिट जाते है, इसलिए हर घर में मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना होती है। ऐसी मान्यता है कि दीपावली की रात को ही माता लक्ष्मी सभी पर सबसे ज्यादा अपनी कृपा बरसाती हैं।

आगरा। दीपोत्सव दीपावली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। इस दिन मुख्य तौर पर मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, देवी सरस्वती की पूजा होती है। मालूम हो कि दीपावली का पूजन प्रदोष काल में ही किया जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार दीपावली कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर मनाया जाता हैं। दीपावली का पर्व अंधकार पर प्रकाश के विजय का प्रतीक है। दीपावली पांच दिनों का पर्व होता है जिसमें धनतेरस से भाई दूज तक यह त्योहार मनाया जाता है।

दिवाली की शाम लक्ष्मी-गणेश, कुबेर और माता सरस्वती की विशेष पूजा आराधना करने का विधान है। इस दिन लोगों घरों से लेकर दुकानों में पूजा पाठ करते है। 

मां लक्ष्मी की बरसती है कृपा

दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करके खुश करने अवसर होता है। अगर मां लक्ष्मी खुश हो जाए तो भक्तों के सारे कष्ट मिट जाते है, इसलिए हर घर में मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना होती है। ऐसी मान्यता है कि दीपावली की रात को ही माता लक्ष्मी सभी पर सबसे ज्यादा अपनी कृपा बरसाती हैं।

इस दिन शाम और रात के समय पूजा का विधान है। पुराणों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं और प्रत्येक घर में विचरण करती हैं।

जिन घरों में साफ-सफाई, प्रकाश और विधि-विधान से देवी-देवताओं की पूजा -आराधना व मंत्रों पाठ होता है मां लक्ष्मी वहीं पर निवास करने लगती हैं। जिस कारण से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, वैभव और धन की कभी भी कमी नहीं होती है।

लक्ष्मी पूजा की विधि:

  • दिवाली पर लक्ष्मी पूजा से पहले पूरे घर की साफ-सफाई कर लें। घर में गंगाजल का छिड़काव करें। घर को अच्छे से सजाएं और मुख्य द्वार पर रंगोली बना लें।
  • पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाकर वहां देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। चौकी के पास जल से भरा कलश रख दें।
  • माता लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा पर तिलक लगाएं और उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं। दीपक जलाकर उन्हें जल, मौली,गुड़, हल्दी, चावल, फल, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें।
  • इसके बाद देवी सरस्वती, मां काली, श्री हरि और कुबेर देव की विधि विधान पूजा करें। महालक्ष्मी पूजा के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरणों की पूजा करें।
  • अंत में माता लक्ष्मी की आरती जरूर करें और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं। प्रसाद घर-परिवार के सभी सदस्यों में बांट दें।


दिवाली पूजा मंत्र 

मां लक्ष्मी मंत्र- ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

सौभाग्य प्राप्ति मंत्र- ऊं श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

कुबेर मंत्र-ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय।

पूजा मुहूर्त:

  • लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त – 06:09 PM से 08:04 PM
  • लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त – 11:39 PM से 12:31 AM, नवम्बर 05
  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 04, 2021 को 06:03 AM बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त – नवम्बर 05, 2021 को 02:44 AM बजे

 पूजा सामग्री 

मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़।

 धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेस वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली. चांदी का सिक्का, चंदन, बैठने के लिए आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते प्रसाद।

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