दिल्ली: आतंकी जान पाकिस्तानी आंका के इशारे पर भीड़ को बनाने वाला था निशाना , 10 फर्जी पहचान पत्र मिले
अशरफ को सीधे भर्ती किया था। उसने 2004 में पाकिस्तान के सियालकोट में आईएसआई के हैंडलर कोड नाम नासिर से छह महीने की आतंकी ट्रेनिंग ली थी। नासिर ने उसे भारत में तोड़फोड़ की गतिविधियां चलाने में मदद के लिए स्लीपर सेल के रूप में काम करने के लिए भेजा था। कोलकाता से वह पहले अजमेर पहुंचा।
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकी ने पूछताछ में ऐसे-ऐसे राज उगले है जिसे सुनकर हर किसी के कान खड़े हो गए। आंतकी ने बताया कि वह पिछले दस साल से फर्जी दस्तावेज के सहारे दिल्ली के लक्ष्मीगंज में डेरा डाले हुआ था।
आतंकी जान ने बताया कि वह मूल रूप से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नरोवाल का रहने वाला है। वह भारत में सक्रिय स्लीपर सेल का सरगना है। आईएसआई ने उसे त्योहारी सीजन के दौरान आतंकी वारदात का जिम्मा सौंपा था। वह यहां मोहम्मद अशरफ अली अहमद नूरी पुत्र नूर अहमद, निवासी शास्त्री पार्क, दिल्ली के नकली पहचान पर रह रहा था।
2004 में लिया था प्रशिक्षण
दिल्ली पुलिस ने मीडिया से जो जानकारी साझा कि उसके अनुसार आईएसआई ने अशरफ को सीधे भर्ती किया था। उसने 2004 में पाकिस्तान के सियालकोट में आईएसआई के हैंडलर कोड नाम नासिर से छह महीने की आतंकी ट्रेनिंग ली थी।
नासिर ने उसे भारत में तोड़फोड़ की गतिविधियां चलाने में मदद के लिए स्लीपर सेल के रूप में काम करने के लिए भेजा था। कोलकाता से वह पहले अजमेर पहुंचा। वहां की एक मस्जिद के मौलवी से दोस्ती कर ली। वर्ष 2006 में वह उस मौलवी के साथ दिल्ली आया और पुरानी दिल्ली में मौलवी के एक रिश्तेदार के कारखाने में गया।
इसके बाद वह उस इलाके में कारखानों में नौकरी करने लगा। वह मौलवी के अन्य रिश्तेदारों से भी मिला और उनका विश्वास जीत लिया। वह देश में रहने के दौरान एक ही जगह ज्यादा दिन नहीं रहता था। जल्दी ही वह अपना ठिकाना बदल लेता था। पुलिस ने बताया कि मोहम्मद अशरफ करीब 10 फर्जी पहचान पत्र बनवाने के बाद से पांच-छह जगह रह चुका है।
भीड़ को बनाना था निशाना
आतंकी जान को पाकिस्तानी हैंडलर से संदेश आया था कि उसे त्योहारी सीजन में बड़ी वारदात को अंजाम देने का काम सौंपा गया था। उससे बरामद हथियारों और गोला-बारूद का इंतजाम भी पाकिस्तानी हैंडलर ने कराया था।
उसकी साजिश लोन वुल्फ अटैक (अकेले आतंकी का भीड़ वाली जगह पर हमला) की थी। जान के पास से दो मैगजीन और 60 कारतूसों के साथ एके-47, 50 कारतूस के साथ दो अत्याधुनिक पिस्टल और एक हथगोला। उससे दो मोबाइल फोन, फर्जी आईडी और पासपोर्ट भी बरामद किए गए हैं।
2011 के धमाके में था शामिल
गिरफ्तार आतंकी मोहम्मद अशरफ उर्फ जान ने बताया कि वह वर्ष 2011 में दिल्ली हाईकोर्ट के सामने हुए बम धमाकों में वह शामिल रहा है। उसने दिल्ली हाईकोर्ट की कई बार रैकी की थी। वह पूर्वी दिल्ली से दिल्ली हाईकोर्ट गया था।
आतंकी ने पूछताछ में ये भी खुलासा किया है कि जम्मू कश्मीर में आतंकियों ने उसके सामने सेना के कई जवानों का अपहरण कर लिया था। कुछ समय बंधक बनाकर रखने के बाद उनकी गला रेतकर हत्या कर दी थी।
जम्मू कश्मीर 30 से ज्यादा बार जा चुका है
आतंकी ने बताया कि हैंडलर उसके काम के हिसाब से पैसा देता था। वह भारत से जब भी कोई सूचना भेजता था तभी इसे पैसे मिलते थे। जम्मू कश्मीर जाने के लिए उसे ज्यादा पैसे मिलते थे। वह हैंडलर के कहने पर ही जम्मू कश्मीर जाता था और वहां से सूचनाएं हैंडलर को भेजता था।
आरोपी ने पूछताछ में खुलासा किया है कि ये 30 बार से ज्यादा जम्मू कश्मीर जा चुका है।मोहम्मद अशरफ ने पूछताछ में खुलासा किया है कि आरोपी ई-मेल के जरिए हैंडलर से ज्यादा बात करता था। हालांकि कभी-कभार से व्हाट्सएप से भी बात करता था। ये व्हाट्सएप चैटिंग को डिलीट कर देता था। पुलिस व्हाट्सएप चैटिंग को खंगालने के लिए इसके दोनों मोबाइल को फोरेंसिक जांच के लिए भेजेगी।
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