नोटबन्दी ने बनाया डिजिटल तो कोरोना ने यूं बढ़ाया नोटों का चलन
भारत ही नहीं अमेरिका जैसी डिजिटल अर्थव्यवस्था वाले देशों में भी 2020 के अंत तक नकदी चलन 16 फीसदी से बढ़कर 2.07 लाख करोड़ डॉलर पहुंच गया है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में यह 1945 के बाद सबसे बड़ा उछाल है। यह उछाल आर्थिक अनिश्चिता बढ़ने पर नकदी के चलन में इजाफा होने से हुआ है।
नईदिल्ली।कोरोना काल में हुई अनियमितता की वजह से देश में नकदी का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। इसका असर हमारे देश में नहीं बल्कि अमेरिका इंग्लैड समेत विश्व के अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान में कई बार उछाल आया, लेकिन महामारी ने एक बार फिर नकदी के चलन पर को बढ़ा दिया । मूल्य के लिहाज से 2020—20 में नकदी का इस्तेमाल 17.2 फीसदी तक बढ़ गया जबकि 20 वर्षों में नकदी के चलन की वृद्धिदर 15 फीसदी रही।
इसके विपरित अक्टूबर माह में यूपीआई से डिजिटल भुगतान भी बढ़कर 7.71 फीसद लाख करोड़ रुपये हुआ है। भारत ही नहीं अमेरिका जैसी डिजिटल अर्थव्यवस्था वाले देशों में भी 2020 के अंत तक नकदी चलन 16 फीसदी से बढ़कर 2.07 लाख करोड़ डॉलर पहुंच गया है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में यह 1945 के बाद सबसे बड़ा उछाल है। यह उछाल आर्थिक अनिश्चिता बढ़ने पर नकदी के चलन में इजाफा होने से हुआ है। जीडीपी के मुकाबले नकदी चलन पिछले एक दशक में 11-12 फीसदी रहा, जो महामारी के दौर में बढ़कर जीडीपी का 14.5 प्रतिशत तक पहुंच गया।
पांच साल में 11.43 लाख करोड़ नकदी बढ़ी
बात अगर अपने देश की करें तो मोदी सरकार ने 2016 में नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनेदेन को बढ़ावा देने की बात कही थी, इसके बाद भी आरबीआई द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट में यह आकड़े सामने आए है कि 4 नवंबर 2016 को जहां कुल 17.74 लाख करोड़ नकदी चलन में थी
वह बढ़कर 29 अक्टूबर 2021 को 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गई। नोटबंदी के बाद नकली नोटो के प्रचलन में 1.1 लाख की कमी आई है।
बीते वित्त वर्ष की समाप्ति तक चलन में शामिल कुल नकदी में 500 और दो हजार के नोटों की हिस्सेदारी बढ़कर 85.7 फीसदी पहुंच गया। इस तरह देखा जाए तो हमारी अर्थव्यवस्था में डिजिटल लेनदेन का बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा है, लोग आज भी डिजिटल लेनदेन से बचते है।
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