कोरोना संकट के बीच डेंगू की आमद से दहशत, घबराएं नहीं ये है उपचार

विजय मिश्र |
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डेंगू बुखार डेनवी वायरस के कारण होता है।
डेंगू बुखार डेनवी वायरस के कारण होता है।

डेंगू मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है जो रुके हुए साफ पानी में पैदा होता है तथा दिन में काटता है।

लखनऊ। कोरोना संकट के बीच डेंगू की आमद से लोगों में दहशत बढ़ गई है। डाक्टरों की मानें तो इस माहौल में भयभीत होने की जरूरत नहीं है। केंद्रीय होम्योपैथी परिषद के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अनुरुद्ध वर्मा का कहना है कि होम्योपैथी में ऐसी अनेक दवाइयां हैं जो डेंगू बुखार से बचाव करती हैं साथ ही उपचार में पूरी तरह कारगर हैं। 

डाॅ. वर्मा ने बताया कि डेंगू बुखार अन्य वायरल बुखार की तरह ही है जो डेनवी वायरस के कारण होता है। वायरल जनित होने के कारण इससे ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि डेंगू मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है जो रुके हुए साफ पानी में पैदा होता है तथा दिन में काटता है। 

मच्छर के काटने के 3 से 5 दिनों के अंदर डेंगू बुखार के लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं। उन्होंने बताया कि डेंगू बुखार तीन तरह का होता है। साधारण डेंगू बुखार, डेंगू हेमरेजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम। डाॅ. अनिरूद्ध वर्मा ने बताया कि साधारण डेंगू बुखार में ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार, सिर और मांसपेशियों, जोड़ों और हड्डियों में तेज दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना जो आंखों को दबाने या हिलाने से बढ़ जाता है। 

बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मिचलाना, गले में हल्का सा दर्द होना, चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल गुलाबी रंग के रैशेज के लक्षण पाए जाते हैं। यह बुखार 3 से 7 दिन तक रहता है। उनके मुताबिक दूसरे प्रकार के डेंगू हैमरेजिक बुखार में साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ मसूढ़े, नाक, मल-मूत्र में खून का आना, पेट में दर्द तथा त्वचा पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे अथवा बड़े रैशेज पड़ जाते हैं। 

तीसरे प्रकार के डेंगू शॉक सिंड्रोम में साधारण, हैमरेजिक बुखार के लक्षणों के साथ तेज बुखार के बावजूद त्वचा ठंडी महसूस होती है और रोगी धीरे-धीरे होश खोने लगता है, मरीज की नाड़ी कभी तेज और कभी धीमी चलने लगती है उसका ब्लड प्रेशर कम होने लगता है, प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं इस स्थिति में चिकित्सालय में भर्ती कराना चाहिए। 

डॉ. अनुरुद्ध वर्मा ने बताया कि डेंगू से बचाव के लिए एडीज मच्छरों को पैदा होने से रोकना, काटने से बचाव करना, शरीर विशेषकर पैरों को ढंके रहना, पूरे पैरों को ढंकने वाले कपड़े पहनना चाहिए। उन्होंने बताया कि केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ अनिल खुराना के अनुसार सभी डेंगू बुखारों का उपचार होम्योपैथी द्वारा संभव है लेकिन डेंगू बुखार के उपचार के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक जैसे प्लेटलेट्स चढ़ाने औा अन्य प्रबंधन को भी अपनाया जाना चाहिए। 

डॉ. वर्मा ने कहा कि डेंगू बुखार से बचाव के लिए इपेटोरियम पर्फ 200 शक्ति में तीन दिन तक चिकित्सक की सलाह पर प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि जेल्सीमियम, क्रोटेल्स, ब्रायोनिया, कैरिया पापाया, रस टॉक्स, इपेटोरियम पर्फ, हेममिलिस, चाइना, फेरम फॉस आदि दवाइओं का प्रयोग रोगी के लक्षणों के आधार पर केवल चिकित्सक की सलाह पर किया जाना चाहिए।


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