प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से बिक रहा चायनीज मांझा, कई हादसों के बाद भी नहीं जाग रहा प्रशासन !
पतंग उड़ाने में उपयोग होने वाला चायनीज मांझा कइयों को बुरी तरह घायल कर चुका है। पिछले दिनों पतंग के माँझे से दो युवक घायल हो चुकें है। 26 मार्च केकेसी के पास अभिषेक कुमार की गर्दन कट गई थी। वहीं 29 मार्च को इंदिरानगर सेक्टर-14 उपकेंद्र का संविदा कर्मचारी विनय शर्मा कि भी पतंग से गर्दन कट गई थी वही आशियाना निवासी अमिताभ चौबे की भी दिवाली के एक दिन पहले ही चाइनीज मांझे से गर्दन काटने से बाल- बाल बच गई थी।
लखनऊ। नवाबों की नगरी, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अक्सर पतंगबाजी का शौक परवान चढ़ता दिखता रहता है। लेकिन इस शौक ने लोगों की दुश्वारियां बढ़ा दी है और जानलेवा हो जा रहा है। पतंग उड़ाने में उपयोग होने वाला चायनीज मांझा कइयों को बुरी तरह घायल कर चुका है। पिछले दिनों पतंग के माँझे से दो युवक घायल हो चुकें है।
26 मार्च केकेसी के पास अभिषेक कुमार की गर्दन कट गई थी। वहीं 29 मार्च को इंदिरानगर सेक्टर-14 उपकेंद्र का संविदा कर्मचारी विनय शर्मा कि भी पतंग से गर्दन कट गई थी वही आशियाना निवासी अमिताभ चौबे की भी दिवाली के एक दिन पहले ही चाइनीज मांझे से गर्दन काटने से बाल- बाल बच गई थी।
आप को बता दें अभी कुछ समय पहले जब एक महिला सिपाही प्रीती अपने स्कूटी से डयूटी पर जा रही थी तभी अचानक गले में पतंग का मांझा फंस गया, जिससे वह स्कूटी समेत वहीं गिर गई और गंभीर घाव के साथ उसकी गर्दन काफी गहराई तक कट गई थी और पूरी वर्दी खून में सन गई थी जिस के बाद महिला सिपाही को लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है था।
जहां हालात गंभीर बनी हुई थी। पतंग के मांझे से राजधानी में पहले भी कई बड़े हादसे हो चुके हैं। पुरनिया, निरालानगर, पॉलीटेक्निक, गोमतीनगर, निशातगंज समेत कई ओवरब्रिज पर कई लोग मांझे की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं, मांझा बेचने पर प्रतिबंध लगने के बाद भी शहर में खुलेआम खूब बिक रहा है।
मांझा पर सख्ती से कार्रवाई नहीं होने के चलते ऐसे हादसों की संख्या में इजाफा हो रहा है। बता दें कि शहर में चाइनीज मंझे पर प्रतिबंधित लगा हुआ है। उसके बाद भी धड़ल्ले से पतंगबाजी और चाइनीज मांझे का इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रतिबंध के बावजूद भी कैसे चायनीच मांझों की बिक्री हो रही है और प्रशासन क्या कर रहा है।