भगवान भोले का अभिषेक करने काशी में रात 12 बजे से लाइन में लगे श्रद्धालु
सावन के पहले सोमवार की सुबह 4 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती और विशेष श्रृंगार किया गया। कोरोना संक्रमण के चलते गर्भगृह में इस बार किसी के भी प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है। फिर भी भक्त दूर से ही बाबा को जलाभिषेक करके अपने को धन्य मान रहे है। काशी के हर कोने में भोले नाथ के जयकारें गूंज रहे है।
वाराणसी। भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करने के लिए सावन के पहले सोमवार को देशभर के शिवालयों में रात 12 बजे से ही श्रद्धालु पहुंचना शुरू हो गए थे। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में शिवभक्तों का उत्साह तो चरम पर था। यहां बाबा के भक्त रात 12 बजे से ही कतार में लग गए थे।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार दो किमी लंबी लाइन रात में ही लग गई थी। भगवान के दरबार में हाजिरी लगाने आम लोगों से लेकर खास लोग सिर झुकाए नजर आए। इस दौरान गोरखपुर से बीजेपी सांसद रवि किशन ने भी बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। कोरोना के खतरे को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने हर शिव भक्त के लिए काशी विश्वनाथ पूजन की गतिविधियों का LIVE टेलीकॉस्ट शुरू किया है।
भोर में किया गया मंगल आरती और श्रृंगार
सावन के पहले सोमवार की सुबह 4 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती और विशेष श्रृंगार किया गया। कोरोना संक्रमण के चलते गर्भगृह में इस बार किसी के भी प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई है। फिर भी भक्त दूर से ही बाबा को जलाभिषेक करके अपने को धन्य मान रहे है। काशी के हर कोने में भोले नाथ के जयकारें गूंज रहे है।
सावन माह के पहले दिन सुबह नौ बजे तक लगभग 60 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन कर चुके है। पूरे दिन में लगभग 2 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। ऐसे में श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए दशाश्वमेध से गोदौलिया, बांसफाटक, चौक होते हुए मैदागिन तक का क्षेत्र 3 जोन और 8 सेक्टर में बांटा गया है। सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस, ट्रैफिक पुलिस और पीएसी के अलावा सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को लगाया गया है।
आरपी घाट, शीतला घाट, अहिल्याबाई घाट, ललिता घाट, अस्सी घाट, तुलसी घाट सहित सभी प्रमुख गंगा घाटों पर जल पुलिस और पीएसी बाढ़ राहत दल के जवानों के अलावा 11 एनडीआरएफ के जवानों को तैनात किया गया है। पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने सुरक्षा व्यवस्था में तैनात जवानों को उनकी ड्यूटी के बारे में बताते हुए रविवार को कहा था कि किसी भी सूरत में श्रद्धालुओं के साथ दुर्व्यवहार की शिकायत नहीं आनी चाहिए।
सवन के पहले सोमवार की महिला बताते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि इस बार सावन में चार सोमवार, दो प्रदोष और दो चतुर्दशी तिथि है। इस तरह से यह सावन बेहद ही सुखद संयोग वाला है। देवाधिदेव महादेव काशी में आदिविश्वेश्वर के स्वरूप में वास करते हैं। महादेव का यह राजराजेश्वर स्वरूप भक्तों के लिए कल्याणकारी और विशेष फलदायी है। महादेव जब कृपा बरसाते हैं तो जीवन कष्टों और बाधाओं से मुक्त हो जाता है।
काशीपुराधिपति सावन के प्रत्येक सोमवार को अलग-अलग स्वरूप में काशी में विराजते हैं। सावन के पहले सोमवार को नीलकंठ अपने शिव स्वरूप में भक्तों को दर्शन देकर उनका कल्याण करेंगे। लिंग पुराण के अनुसार भगवान शिव ज्योतिर्लिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे। इसलिए सावन के पहले सोमवार को उनका श्रृंगार मानव आकृति के रूप में किया जाता है।
1932 से हो रहा जलाभिषेक
आपकों बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए यदुवंशी सावन के पहले सोमवार को 89 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन करेंगे। मान्यता के अनुसार वर्ष 1932 में घोर अकाल के दौरान पक्कामहाल की शीतला गली निवासी भोला सरदार और चुन्नी सरदार ने 50 यदुवंशियों के साथ बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक कर बारिश के लिए प्रार्थना की थी। उसके बाद तीन दिनों तक घनघोर बारिश हुई थी। तब से लेकर प्रतिवर्ष यदुवंशी जलाभिषेक की परंपरा का निर्वहन करते हैं।
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