आपदा बनी अवसर: कोरोनाकाल में छप्पर फाड़ हुई अडानी व अंबानी की कमाई

टीम भारत दीप |
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दुनिया के अरबपतियों में 40 भारतीय लोगों का नाम जुड़ गया है।
दुनिया के अरबपतियों में 40 भारतीय लोगों का नाम जुड़ गया है।

मुकेश अंबानी 83 बिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति के साथ सबसे अमीर भारतीय रहे। रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक 24 प्रतिशत की बढ़त के साथ दुनिया में आठवें सबसे अमीर शख्स बन गए है। वहीं गौतम अडानी, जिन्होंने पिछले कुछ सालों में शानदार वृद्धि की है। अडानी की 2020 में संपत्ति लगभग दोगुना बढ़कर 32 बिलियन अमरीकी डॉलर पहुंच गई ।

नई दिल्ली। कोरोनाकाल में जहां आम आदमी पाई—पाई को मोहताज हो गया तो वहीं कुछ खास लोग ऐसे भी थे। जिन पर जमकर धनवर्षा हो रही थी। इन्होंने इस महामारी के रूप में आई आपदा को इस कदर अवसर में बदला कि आज सारी दुनिया में इनका डंका बज रहा है। इनमें से दो उद्योगपति अडानी व अंबानी की कमाई तो छप्पड़ फाड़ हुई है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में भले ही दुनियाभर के देशों की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई हो लेकिन इस महामारी के बीच पिछले साल दुनिया के अरबपतियों में 40 भारतीय लोगों का नाम जुड़ गया है। दुनिया के 177 अरबपतियों के क्लब में इनका शुमार हो गया है। वहीं मुकेश अंबानी 83 बिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति के साथ सबसे अमीर भारतीय रहे।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक 24 प्रतिशत की बढ़त के साथ दुनिया में आठवें सबसे अमीर शख्स बन गए है। वहीं Hurun India की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात के गौतम अडानी, जिन्होंने पिछले कुछ सालों में शानदार वृद्धि की है। अडानी की 2020 में संपत्ति लगभग दोगुना बढ़ाकर 32 बिलियन अमरीकी डॉलर पहुंच गई और इसी के साथ वे 20 स्थानों पर चढ़कर विश्व में 48 वें सबसे अमीर व्यक्ति बन गए है।

इसी के साथ वे दूसरे सबसे धनी भारतीय हैं। वहीं उनके भाई विनोद की संपत्ति 128 प्रतिशत बढ़कर 9.8 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गई है। बताया गया कि यह रिपोर्ट व्यक्तिगत या पारिवारिक संपत्ति को मिलाकर है। इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में महामारी और उससे बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के प्रभाव के चलते सात प्रतिशत का फर्क आया है।

वहीं यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब K-Shaped की वसूली को लेकर चिंता जताई जा रही है। जहां कुछ चुनिंदा लोग ही समृद्ध हैं। वहीं Hurun India के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ रिसर्चर अनस रहमान जुनैद के मुताबिक भारतीय लोगों में चीन और अमेरिका की तकनीकी-संचालित धन सृजन की तुलना पारंपरिक उद्योगों का प्रभुत्व है।

बताया गया कि जब तकनीक से संचालित धन सृजन पूरी क्षमता तक पहुंच जाएगा तो भारत अरबपतियों की संख्या के मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका को हरा सकता है।


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