महिला की गुजारा भत्ता की मांग ख़ारिज, अदालत ने कहीं ये अहम बातें
अगर महिला अपना गुजारा चलाने में समक्ष है तो उसे गुजारे भत्ता का अधिकार नही है। यह बात कहते हुए एक महिला की गुजारा भत्ता याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है। अदालत के मुताबिक महिला उच्च शिक्षित है और खुद का गुजारा चलाने लायक कमाती भी है।
दिल्ली। अगर महिला अपना गुजारा चलाने में समक्ष है तो उसे गुजारे भत्ता का अधिकार नही है। यह बात कहते हुए एक महिला की गुजारा भत्ता याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है। अदालत के मुताबिक महिला उच्च शिक्षित है और खुद का गुजारा चलाने लायक कमाती भी है। अदालत ने कहा कि बिना वजह पति पर बोझ बनना उचित नहीं। जबकि वह खुद योग्य है और पिछले दो साल से जीवन-यापन चल रहा है।
दरअसल दिल्ली की रोहिणी अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए महिला को सलाह भी दी है। अदालत ने कहा कि इस तरह की सोच अपनी खुद की प्रगति के रास्ते रोड़ा अटकाने जैसा है। यदि आप काबिल हैं तो अपनी काबिलियत को बढ़ाने के लिए आगे प्रयास करने चाहिएं ना कि गुजाराभत्ते के जरिए अपने बढ़ते कदमों को रोकने की कोशिश करनी चाहिए।
वहीं यह भी कहा गया कि महिला का अधिकार होता है गुजाराभत्ता पाना। पर इसके लिए कानून में उन महिलाओं के लिए यह प्रावधान किया गया है जो पूरी तरह से पति या परिवार पर जीवन-यापन के लिए निर्भर होती हैं। खासतौर से घरेलू महिलाओं को इसमे शामिल किया गया है जो खुद कमाने-खाने लायक नहीं होती। अदालत ने यह निर्णय महिला के हलफनामे पर गौर करते हुए दिया है।
महिला द्वारा हलफनामे में आयकर संबंधी जानकारी भी दी गई है। उसके मुताबिक वह एक स्कूल में पिछले दो साल से पढ़ा रही है। वह 20 हजार रुपये से ज्यादा की तनख्वाह भी पा रही है। अदालत ने कहा कि एक अकेली महिला के लिए यह तनख्वाह गुजारा चलाने के लिए कम नहीं है। इसलिए महिला की गुजाराभत्ता याचिका को खारिज किया जाता है।
जानकारी के मुताबिक महिला का अपने पति से वैवाहिक विवाद चल रहा है। वह पिछले कई साल से पति से अलग रह रही है। महिला ने पति से गुजाराभत्ते की मांग करते हुए अदालत में याचिका दायर की थी। महिला के मुताबिक वह अपने पिता के मकान में रहती है। उसके मुताबिक उसका गुजारा चलाना पति की जिम्मेदारी है इसलिए उसे प्रतिमाह 15 हजार रुपये गुजाराभत्ता मिलना चाहिए।