अयोध्या में मस्जिद को दी गई जमीन पर विवाद, 5 एकड़ भूमि पर दो महिलाओं ने किया दावा
बुधवार को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में एक याचिका दाखिल की गई है। दिल्ली की रानी कपूर पंजाबी व रमा रानी पंजाबी की ओर से यह याचिका दायर की गई है। इस पर आठ फरवरी को सुनवाई संभावित है। याचिका में दोनों महिलाओं ने आवंटित जमीन में से पांच एकड़ पर अपना हक होने का दावा किया है।
अयोध्या। सरकार द्वारा कोर्ट के आदेश के बाद अयोध्या के धन्नीपुर गांव में मस्जिद बनाने के लिए दी गई जमीन पर विवाद शुरू हो गया है।
मालूम हो कि सरकार ने यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को कुल 29 एकड़ जमीन दी है। इसमें से पांच एकड़ जमीन पर विवाद की स्थिति बन रही है। बुधवार को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में एक याचिका दाखिल की गई है।
दिल्ली की रानी कपूर पंजाबी व रमा रानी पंजाबी की ओर से यह याचिका दायर की गई है। इस पर आठ फरवरी को सुनवाई संभावित है। याचिका में दोनों महिलाओं ने आवंटित जमीन में से पांच एकड़ पर अपना हक होने का दावा किया है।
इसके साथ ही यह भी कहा है कि उक्त पांच एकड़ की जमीन के संबंध में बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के समक्ष एक मुकदमा भी विचाराधीन है।दावा करने वाली महिलाओं के अधिवक्ता के मुताबिक याचिका में कहा गया कि बंटवारे के समय उनके माता-पिता पाकिस्तान के पंजाब से आए थे।
वे फैजाबाद अब अयोध्या, जनपद में ही बस गए। बाद में उन्हेंं नजूल विभाग में ऑक्शनिस्ट के पद पर नौकरी भी मिली। उनके पिता ज्ञान चंद्र पंजाबी को 1560 रुपये में पांच साल के लिए ग्राम धन्नीपुर, परगना मगलसी, तहसील सोहावल, फैजाबाद में लगभग 28 एकड़ जमीन का पट्टा दिया गया।
पांच साल के बाद भी उक्त जमीन याचियों के परिवार के ही उपयोग में रही व याचियों के पिता का नाम आसामी के तौर पर उक्त जमीन से संबंधित राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। हालांकि, वर्ष 1998 में सोहावल एसडीएम द्वारा उनके पिता का नाम उक्त जमीन से संबंधित रिकॉर्ड से हटा दिया गया, जिसके खिलाफ याचियों की माता ने अपर आयुक्त के यहां लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी व उनके पक्ष में फैसला हुआ।
याचियों का कहना है कि अपर आयुक्त के आदेश के बाद भी चकबंदी के दौरान फिर से उस जमीन के राजस्व रिकॉर्ड को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ। तब चकबंदी अधिकारी के आदेश के विरुद्ध बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के समक्ष मुकदमा दाखिल किया गया, जो अब तक विचाराधीन है।
याचियों का कहना है कि मुकदमा अब तक विचाराधीन होने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा इसी जमीन में से पांच एकड़ भूमि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को आवंटित कर दी गई है।
याचियों ने इस जमीन के आवंटन व उसके पूर्व की संपूर्ण प्रक्रिया को चुनौती दी है। यदि कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई होने लगेगी तो मस्जिद निर्माण में बाधा शुरू हो जाएगी। अब यह तो वक्त ही बताएगा कि कोर्ट में कब तक इसकी सुनवाई चलेगी।