भूलकर भी न करें ये दो काम, मां लक्ष्मी हो जाती हैं नाराज
भौतिक जीवन में अर्थ यानि धन जीवन को सुगम और सरल बनाने का सबसे उपयुक्त साधन माना जाता है। चाणक्य नीति कहती है कि हर व्यक्ति मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहता है। भौतिक जीवन में धन का बहुत महत्व है। इसीलिए कलियुग में लक्ष्मी जी की विशेष पूजा और उपासना की जाती है।
धर्म डेस्क। अर्थ बिना सब व्यर्थ है। भौतिक जीवन में अर्थ यानि धन जीवन को सुगम और सरल बनाने का सबसे उपयुक्त साधन माना जाता है। चाणक्य नीति कहती है कि हर व्यक्ति मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहता है। भौतिक जीवन में धन का बहुत महत्व है। इसीलिए कलियुग में लक्ष्मी जी की विशेष पूजा और उपासना की जाती है।
दरअसल आचार्य चाणक्य का संबंध अपने समय के विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय से था। चाणक्य इस विश्वविद्यालय में आचार्य थे और विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों का ज्ञान प्रदान कराते थे। चाणक्य के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उन्हें विभिन्न विषयों का अच्छा ज्ञान था।
चाणक्य को अर्थशास्त्र के साथ—साथ राजनीति शास्त्र, कूटनीति शास्त्र और समाज शास्त्र आदि विषयों का भी गहरा ज्ञान था। बताया जाता है कि कुशल अर्थशास्त्री होने के कारण आचार्य चाणक्य जीवन में धन का महत्व क्या है, इसको भलिभांति जानते और समझते थे। उनकी मान्यता थी कि लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए व्यक्ति को सदैव श्रेष्ठ कार्य करने चाहिए।
उनका ऐसा भी मानना था कि गलत आचरण और बुरी आदतों से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों से लक्ष्मी जी नाराज हो जाती है और उन पर लक्ष्मी जी की कृपा नहीं बरसती।
भूलकर भी न करें ये दो काम
क्रोध: चाणक्य नीति के अनुसार क्रोध एक ऐसा अवगुण है, जो व्यक्ति का सर्वस्य नष्ट कर देता है। उनके अनुसार व्यक्ति कितना ही काबिल और ज्ञानी क्यों न हो, यदि वह अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना नहीं जानता है तो उसे लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त नहीं हो सकती है।
बताया गया कि क्रोध करने वालों को लक्ष्मी जी पसंद नहीं करती है और ऐसे व्यक्ति का साथ छोड़ देती हैं। ऐसे में जरूरी है कि क्रोध से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए।
अहंकार: चाणक्य नीति के मुताबिक अहंकार एक ऐसा अवगुण है, जो व्यक्ति को व्यक्ति से दूर कर देता है। ऐसे में अहंकारी व्यक्ति से हर कोई दूर रहना पसंद करता है। बताया जाता है कि अहंकारी व्यक्ति स्वयं की प्रतिभा का लाभ नहीं उठा पाता है। अहंकार से युक्त व्यक्ति स्वयं को श्रेष्ठ और दूसरों को निम्न समझता है।
अहंकार के कारण व्यक्ति ज्ञान का महत्व भूल जाता है। चाणक्य नीति के अनुसार अहंकार करने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त नहीं होती है। ऐसे लोगों के लिए आगे चलकर मुसीबतें और कष्ट और अधिक बढ़ने लगते हैं।