नाटक खत्म : तीरथ सिंह रावत होंगे उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री
उत्तराखंड में पिछले 3-4 दिन से चल सियासी ड्रामे का बुधवार को अंत हो गया। पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत को राज्य का नया मुख्यमंत्री चुना गया। देहरादून में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में उनके नाम मुहर लगी।
उत्तराखंड। उत्तराखंड में गत 3 -4 दिन से जारी राजनीतिक उठापटक पर बुधवार दोपहर से पहले विराम लग गया। विधायक दल की बैठक में पौड़ी के सांसद तीरथ सिहं रावत के नाम पर बैठक में मुहर लग गई। बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तीरथ सिंह रावत का नाम आगे बढाया जिस पर मुहर सभी लोगों ने सहमति जता दी।
उत्तराखंड में पिछले 3-4 दिन से चल सियासी ड्रामे का बुधवार को अंत हो गया। पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत को राज्य का नया मुख्यमंत्री चुना गया। देहरादून में हुई पार्टी विधायक दल की बैठक में उनके नाम मुहर लगी।
सूत्रों के मुताबिक, नए मुख्यमंत्री के शपथग्रहण के लिए राज्यपाल से शाम 4 बजे का समय मांगा गया है। इससे पहले मंगलवार को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
कौन हैं तीरथ सिंह
तीरथ सिंह रावत 9 फरवरी 2013 से 31 दिसंबर 2015 तक उत्तराखंड भाजपा के चीफ रहे हैं। इससे पहले चौबटखल विधानसभा से 2012 से 2017 में जीत थे। वर्तमान में वह भाजपा के नेशनल सेक्रेटरी हैं।
उनका जन्म पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ था। इससे पहले वे उत्तरप्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। 1997 में यूपी से विधायक भी रह चुके है। वे उत्तराखंड के पहले शिक्षामंत्री रहे हैं। वर्तमान में वे पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद हैं।
रावत बोले. मैं 4 साल सीएम रहा, अब किसी और को मौका मिले
मंगलवार को इस्तीफा देने के बाद रावत प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने कहा था कि भाजपा ने छोटे से गांव के कार्यकर्ता को इतना बड़ा सम्मान दिया। 4 साल मुझे सेवा करने का मौका दिया। पार्टी ने सामूहिक रूप से फैसला लिया है कि मुझे अब किसी और को यह मौका देना चाहिए।
रावत के इस्तीफे पर कांग्रेस ने कहला बोलते हुए कहा कि सरकार काम नहीं कर रही थी, इसलिए पार्टी ने उन्हे हटा दिया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी मान लिया है कि मौजूदा सरकार कुछ कर नहीं सकी है। अब मैं राज्य की सत्ता में बदलाव देख रहा हूं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे अब किसे लाएंगे। 2022 में भाजपा सत्ता में नहीं लौटने वाली।
रावत का हो रहा था विरोध
भाजपा विधायकों ने ही किया था रावत का विरोध पार्टी के नाराज गुट का कहना था कि अगर त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री रहे तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
यहां तक कि पार्टी सत्ता से बाहर भी हो सकती है। पार्टी पर्यवेक्षकों ने 6 फरवरी को देहरादून जाकर पार्टी विधायकों से बात की थी। 7 फरवरी को दोनों दिल्ली लौट आए थे और अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को दी थी।