मौत की आहट से हत्यारिन शबनम रहने लगी हैं मायूस, खाना -पीना भी कम किया
पिछले कई साल से जेल में बंद शबनम अन्य महिला कैदियों से काफी घुलमिल गई थी। उनसे काफी बाते भी करती थी, लेकिन उन लोगों से बहुत कम बात कर रही है। भोजन भी समय पर नहीं करती। मौत की आहट से ही वह अब मायूस रहने लगी है। शिक्षा मित्र रही शबनम जेल में भी निरक्षर महिला कैदियों और महिला बंदियों को पढ़ाने का काम करती थी।
रामपुर। अपने प्यार को पाने की चाहत लेकर अपनों की खून से हाथ रंगने वाली हत्यारिन शबनम भले ही अब कह रही है कि उसने कुछ नहीं किया है उसे फंसाया गया है। फांसी से बचने के लिए वह कई तरह के हथकंडे अपना रही है।
इसके बाद भी उसे सामने अपनी मौत दिखाई दे रही है। फांसी की आहट से ही शबनम के चेहरे की हवाईयां इन दिनों उड़ी पड़ी है। जेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शबनम की दिनचर्या अब बदल गई है।
शिक्षामित्र रहीं शबनम पहले जेल में कैदियों और बच्चों को पढाती थी, लेकिन जब से फांसी होने की तैयारी मथुरा जेल में होने लगी है तब से उसकी बैचैनी काफी बढ गई है। उसका मन अब बच्चों को पढाने में नहीं लग रहा । शबनम अब धीरे-धीरे खाना पीना छोड़ रही है। इसके अलावा वह जेल में बहुत ही कम लोगों से बातचीत कर रही है। वह गुमसुम शांत रहने लगी है।
महिला कैदियों से कम की बातचीत
पिछले कई साल से जेल में बंद शबनम अन्य महिला कैदियों से काफी घुलमिल गई थी। उनसे काफी बाते भी करती थी, लेकिन उन लोगों से बहुत कम बात कर रही है। भोजन भी समय पर नहीं करती। मौत की आहट से ही वह अब मायूस रहने लगी है।
शिक्षा मित्र रही शबनम जेल में भी निरक्षर महिला कैदियों और महिला बंदियों को पढ़ाने का काम करती थी। माना जा रहा है कि मथुरा जेल में फांसी की तैयारियों की जानकारी होने के बाद उसकी दिनचर्या में बदलाव आया है।
आपको बता दें कि शबनम और उसके प्रेमी सलीम को सात लोगों की हत्या के मामले में जिला जज अमरोहा ने फांसी की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकार रखा था।
शबनम की दया याचिका राष्ट्रपति से अस्वीकार हो चुकी है। सलीम की विचाराधीन है। अब शबनम ने राज्यपाल को फांसी की सजा कम करने के लिए दया याचिका भेजी है।
सात लोगों को सुलाई थी मौत की नींद
मालूम हो कि शबनम ने 2008 में पिता, मां, दो भाई सहित सात परिजनों को प्रेमी सलीम संग मिलकर कुल्हाड़ी से काटे कर मौत की नींद सुलाई थी। शुरू मे तो उसने चचेरे भाईयों को इस हत्या में फंसाने की कोशिश की। पुलिस की जांच में सबकुछ साफ होने के बाद अपनों की हत्या के जुर्म में पकडी गई। 2010 में कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी जो अभी तक बरकरार है।