यूपी: बरेली में महिला सीट पर जीता पुरुष प्रत्याशी, हंगामा मचा तो टूटी प्रशासन की नींद
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मैंने नामांकन किया और चुनाव जीत गया। इसमें अधिकारियों की गलती है कि महिला सीट होने के बाद ही पुरुष प्रत्याशी का पर्चा स्वीकार किया गया, जीत के बाद मुझे प्रमाण पत्र कैसे दिया गया। माना मुझे जानकारी नहीं थी, लेकिन जिम्मेदारों ने क्यों ध्यान नहीं दिया।
बरेली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव जल्दी नहीं भुलाए भूलेगा। क्योंकि इस चुनाव को संपन्न कराने में कईयों की मौत हो गई। कई तो चुनाव जीतने के बाद जिंदगी की जंग हार गए।
इसके विपरित चुनाव के दौरान जिम्मेदारों द्वारा की गई गलतियां भी सुर्खियां बन रहीं है। ऐसी ही एक खबर बरेली से सामने आई। यहां गुजरे पंचायत चुनाव में बीडीसी की महिला सीट पर पुरुष उम्मीदवार ने नामांकन कर दिया और उसे जीत भी हासिल हो गई।
इतना ही नहीं उसे प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।. हैरानी की बात तो यह है कि इसकी जानकारी जिम्मेदारों को हुई ही नहीं, इस मामले में जब शिकायत की जांच हुई तब मतगणना के बाद मामला करीब 35 दिनों बाद खुला, अब लापरवाही किस स्तर से हुई इस बात की जांच की जा रही है।
जानकारी के मुताबिक यूपी के बरेली के नवाबगंज क्षेत्र के गजरौला गांव के कृष्ण अवतार पिछले दिनों चुनाव आयोग को एक शिकायत भेजा, जिसमें उन्होंने कहा था कि सुतइया खुर्द गांव के वार्ड में संख्या 16 के पंचायत सदस्य की सीट महिलाओं के आरक्षित थी।
शिकायत कर्ता की पत्नी मिथिलेश कुमारी, सूरजमुखी, मीरा देवी, हसीना बानो, रज्जो और फूल बानो ने यहां से नामांकन किया था। यह है कि सीट महिला आरक्षित होने के बावजूद बुखारपुर गांव के ख्याली सिंह नेगी चुनाव में नामांकन कर दिया और उनका नामांकन भी स्वीकार कर लिया गया।
इसके बाद चुनाव हो गए और ख्याली सिंह ने मिथिलेश कुमारी से 24 वोटों से चुनाव जीत लिया। कृष्ण अवतार चुनाव निरस्त करने की मांग की है। इस मामले में आरो रणधीर सिंह का कहना है कि मुझे काउंटिंग दे दो दिन पहले तैनात किया गया था, मैंने सिर्फ प्रमाण पत्र जारी किया गया है, मुझसे पहले संजय आर्य बता रहे थे, फिलहाल मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
उप जिला निर्वाचन अधिकारी विजय सिंह कहते हैं कि शिकायत की जांच की जा रही हैं। आरओ को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। वहीं इस मामले में चुनाव जीतने वाली ख्याली सिंह का कहना है कि मुझे जानकारी नहीं थी मैंने नामांकन किया और चुनाव जीत गया।
इसमें अधिकारियों की गलती है कि महिला सीट होने के बाद ही पुरुष प्रत्याशी का पर्चा स्वीकार किया गया, जीत के बाद मुझे प्रमाण पत्र कैसे दिया गया। माना मुझे जानकारी नहीं थी, लेकिन जिम्मेदारों ने क्यों ध्यान नहीं दिया।
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