बच्चा बीमार है तो भी महिला शिक्षक मनचाहे जिले में ट्रांसफर की हकदारः कोर्ट
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सुनवाई के दौरान न्यायधीश ने वकील के तर्क सुने और फिर फैसला सुनाते हुए कहा कि बच्चे की बीमारी के आधार पर भी महिला टीचर्स को मिल सकता है तबादले का लाभ, अहम टिप्पणी में कहा कि बच्चे के लिए मां की देखभाल जरूरी तो एक से दूसरे जिले में ट्रांसफर हो सकता है।
प्रयागराज।प्रदेश में अभी तक सरकारी विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के तबादले में केवल पति-पत्नी के बीमार होने पर स्थानांतरण चाहने पर मिलता था, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाया है।
इस फैसले के तहत अब कोई भी मां बच्चे की बीमारी की अवस्था में स्थानांतरण करा सकती है। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से ऐसे मामलों पर गंभीरतापूर्व विचार करने को कहा है। हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी महिला टीचर के बच्चे की तबीयत खराब होने पर उसे दूसरे जिले में स्थानांतरित किया जा सकता है।
कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को ट्रांसफर मामले में नए सिरे से फैसला लेने की बात कही है और याची का एक महीने के अंदर तबादला करने का भी आदेश जारी किया है।
सरकारी नियमावली के अनुसार अभी तक के नियमों के अनुसार सिर्फ पति या पत्नी की बीमारी के आधार पर ही टीचर्स को तबादले में वरीयता देने का प्रावधान था। प्रयागराज की एक महिला अध्यापक ने हाईकोर्ट में यााचिका लगाई थी, कि उसके पति लखनऊ में बिजली विभाग में कार्यरत है और वह यहां प्रयागराज में बतौर अध्यापक सेवा दे रही है।
उसकी समस्या है कि उसका पांच साल का बेटा अस्थाम से पीडित हैं जिसकी देखभाल करने में समस्या होती है। इसलिए उसका स्थानांतरण लखनऊ कर दिया जाए, जिससे वह पति के साथ रहकर अपनी सेवा भी दे सकें और पति के सहयोग से बच्चे की भी देखभाल कर सकें। महिला टीचर सईदा रुखसार के इस मामले की सुनवाई जस्टिस अजय भनोट की सिंगल बेंच में हुई।
सुनवाई के दौरान न्यायधीश ने वकील के तर्क सुने और फिर फैसला सुनाते हुए कहा कि बच्चे की बीमारी के आधार पर भी महिला टीचर्स को मिल सकता है तबादले का लाभ। अहम टिप्पणी में कहा कि बच्चे के लिए मां की देखभाल जरूरी तो एक से दूसरे जिले में ट्रांसफर हो सकता है। गौरतलब कि अभी तक सिर्फ पति या पत्नी की बीमारी के आधार पर ही टीचर्स को तबादले में वरीयता मिलती थी।