मिसाल: उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी ने पत्नी को सामजिक बंधन से आजाद करने उठाया यह कदम
राजेश ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मैं ताउम्र जेल में रहूंगा और बाहर पत्नी दाने-दाने को मोहताज होगी। नर्क सी जिंदगी भोगेगी। कब तक मेरे लौटने का इंतजार करेगी। मेरी गलती की सजा उसे क्यों मिले। ये दर्द मुझे तिल-तिलकर मारता रहेगा।
ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर से एक बहुत ही अनोखा मामला सामने आया है। इस मामले ने जो मिसाल पेश की है वह कईयों के लिए मुक्ति के रास्ते खोलेगा। दरअसल यहां एक अपराधी हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा था।
इस बीच उसे अपनी बेकसूर पत्नी की याद सताई कि जुर्म तो उसने किया है, लेकिन उसकी पत्नी बेकसूर रहते हुए अकेले जीवन जी रही है, न जाने कितनी-कितनी परेशानियां झेल रही होगी,
इसलिए उसने अपनी पत्नी को अपने से आजाद करने के लिए उसे तलाक देने का मन बनाया। हत्यारोपित ने जेल से पत्नी को तलाक की नोटिस भेजी, कोर्ट ने उसकी भल मनसाहित को समझते हुए दोनों को अलग कर दिया।
यह मामला मध्यप्रदेश के ग्वालियर सेंट्रल जेल से सामने आया। यहां उम्रकैद की सजा काट रहे राजेश दुबे को स्पेशल वारंट पर हाईकोर्ट की खंडपीठ में तलाक के मामले की सुनवाई के लिए लाया गया था। यह प्रदेश का पहला ऐसा मामला है, जिनमें जेल में रहते हुए किसी पति ने पत्नी को तलाक दिया है, ताकि पत्नी अपनी जिंदगी जी सके।
पत्नी की जिंदगी नरक होने से बचाया
ग्वालियर सेंट्रल जेल के अधीक्षक मनोज साहू ने बताया कि राजेश और उनकी पत्नी एक-दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे, लेकिन एक अपराध ने उनकी जिंदगी को तबाह कर दिया था। दोनों की शादी को 11 साल हो चुके थे। जब जेल में रहते राजेश ने पत्नी को तलाक की अर्जी भेजी, तो वो हैरान रह गई, वह इसके लिए कतई तैयार नही थी।
काउंसलिंग को भेजा मामला
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए इस मामले को काउंसलिंग के लिए भेजा, जहां राजेश ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मैं ताउम्र जेल में रहूंगा और बाहर पत्नी दाने-दाने को मोहताज होगी। नर्क सी जिंदगी भोगेगी।
कब तक मेरे लौटने का इंतजार करेगी। मेरी गलती की सजा उसे क्यों मिले। ये दर्द मुझे तिल-तिलकर मारता रहेगा। इसलिए वह चाहता है कि पत्नी उससे तलाक लेकर दूसरी शादी कर अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करे। अपनी जिंदगी जिए।
11 साल के जीवन को भूलाना आसान नहीं था
एक पत्नी के लिए पति के साथ बिताए गए 11 साल के शादी शुदा जीवन को भुलाना आसान नहीं थी। वह तलाक देने को राजी नही थी, इसके बाद काउंसलर ने भी उसे समझाया, जिसके बाद वह रोते-बिलखते हुए तलाक को राजी हो गई।
इस केस में सबसे खास बात यह रही कि कोर्ट ने दोनों को आपसी समझाइश के लिए छह महीने का कूलिंग पीरियड भी नहीं दिया, जो अक्सर तलाक के मामलों में दिया जाता है। कोर्ट ने तत्काल तलाक मंजूर कर लिया। मामले में जब काउंसलिंग की जा रही थी, तब कभी पत्नी रो रही थी तो कभी पति। दोनों एक दूसरे से बिछड़ना नहीं चाहते थे।
ग्वालियर सेंट्रल जेल के अधीक्षक ने बताया कि उनके यहां सजायाफ्ता कैदी को स्पेशल वारंट पर कोर्ट में पेश किया गया। यहां पर उसके पारिवारिक संबंधी मामले की सुनवाई थी। मामला उसके तलाक का था। पति और पत्नी की काउंसलिंग के बाद कोर्ट से पति और पत्नी का तलाक हो गया।
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