बैंकों के निजीकरण पर आई वित्त मंत्री की सफाई, बताई वजह, कही, ये बातें

टीम भारत दीप |

केंद्र उनके स्टाफ के हितों का पूरा ध्यान रखेगी।
केंद्र उनके स्टाफ के हितों का पूरा ध्यान रखेगी।

विकास की तमाम संभावनाएं तलाशती केन्द्र सरकार के बैंकों के निजीकरण के फैसले को लेकर बैंक कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर अशंकित है। शायद यही कारण है कि बैंक कर्मचारी आन्दोलनरत् है। बैंक कर्मचारियों की दो दिवसीय राष्ट्रीय व्यापी हड़ताल के अंतिम दिन शाम होते—होते वित्त मंत्री ने आक्रोशित बैंक कर्मियों की अशंकाओं को दूर करने की कोशिश की।

नई दिल्ली। निजीकरण के जरिए विकास की तमाम संभावनाएं तलाशती केन्द्र सरकार के बैंकों के निजीकरण के फैसले को लेकर बैंक कर्मचारी अपने भविष्य पर अशंकित है। शायद यही कारण है कि बैंक कर्मचारी आन्दोलनरत् है।

बैंक कर्मचारियों की दो दिवसीय राष्ट्रीय व्यापी हड़ताल के अंतिम दिन शाम होते—होते वित्त मंत्री ने आक्रोशित बैंक कर्मियों की अशंकाओं को दूर करने की कोशिश की। इसी कोशिश के क्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जिन बैंकों को दूसरे सरकारी बैंक में मिलाया जा रहा है या जिन वित्तीय कंपनियों को सौंपा जा रहा है।

उनके कर्मचारियों के हितों का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा है कि कर्मचारियों की सैलरी, स्केल, पेंशन, उनकी सर्विस के सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाएगा। दरअसल कैबिनेट मीटिंग के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि मैं भरोसा दिलाना चाहती हूं कि संस्थानों को बंद नहीं किया जा रहा है और न ही वर्कर्स को नौकरी से निकाला जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार बैंकों के विलय और वित्तीय संस्थानों का निजीकरण करने के फैसले हड़बड़ी में नहीं ले रही है। कहा गया कि केंद्र उनके स्टाफ के हितों का पूरा ध्यान रखेगी। कहा जा रहा है कि वित्त मंत्री का बयान तब आया है, जब बैंकों के निजीकरण के विरोध में उनके कर्मचारी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले 2 दिन की हड़ताल पर हैं।

सीतारमण के मुताबिक बहुत से बैंकों का प्रदर्शन बहुत अच्छा है। कुछ बैंक ठीक—ठाक चल रहे हैं। कहा गया कि हमें ऐसे बैंकों की जरूरत है जो अपना साइज जरूरत के हिसाब से बढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि हमें देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे कई बड़े बैंकों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सभी बैंकों का निजीकरण नहीं किया जाएगा।

बैंकों का विलय करने का फैसला फटाफट नहीं लिया जाएगा। हमने एक पब्लिक एंटरप्राइज पॉलिसी का ऐलान किया है। जिसके आधार पर हमने उन 4 कारोबारी क्षेत्रों की पहचान की है। जहां सरकार की मौजूदगी बनी रहेगी। कहा गया कि मौजूदगी भी जरूरत भर की होगी और उसमें फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन शामिल रहेंगे।

जिसका मतलब यह है कि फाइनेंशियल सेक्टर में भी सरकारी संस्थानों की मौजूदगी रहेगी। वित्त मंत्री के मुताबिक हमें यह निश्चित करना होगा कि जिन वित्तीय संस्थानों का निजीकरण किया जाएगा। उसके स्टाफ के सभी हित सुरक्षित रहेंगे। कहा गया कि हम उन्हें सिर्फ बेचने के लिए नहीं बेचेंगे।

हमारी मंशा है कि वित्तीय संस्थानों को ज्यादा शेयर पूंजी मिले और ज्यादा लोग उनमें पैसे लगाएं। साथ ही उनको ज्यादा टिकाऊ बनाया जाए। हम यह भी चाहते हैं कि उनके स्टाफ अपना काम करते रहें, जिन्हें वे कई साल में हासिल स्किल से करते आए हैं। बताया गया कि SBI में जिन 5 एसोसिएट बैंकों और भारतीय महिला बैंक को मिलाया गया।

उसके किसी कर्मचारी को नौकरी से हटाया गया । यह बात अगस्त 2018 में तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कही थी।

बताते चलें कि SBI में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद के अतिरिक्त भारतीय महिला बैंक को मिलाया गया था। बता दें कि इनके विलय का ऐलान फरवरी 2017 में हुआ था और वह 1 अक्टूबर 2017 को प्रभावी हुआ था।
 


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