हाइकोर्ट का आदेश, बालिग लड़का और लड़की की शादीशुदा जिंदगी में परिवार न दे दखल

टीम भारतदीप |

इलाहाबाद हाइकोर्ट में एक याचिका मामले में अहम फैसले पर सुनवाई हुई।
इलाहाबाद हाइकोर्ट में एक याचिका मामले में अहम फैसले पर सुनवाई हुई।

मुस्लिम युवक से शादी करने के बाद मायके वालों द्वारा मारपीट करने और सुरक्षा प्रदान करने की याचिका मामले हाईकोर्ट ने युवती से मारपीट करने के मामले में उसे सुरक्षा प्रदान करने के आदेश के साथ एक अहम भी टिप्‍पणी की।

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाइकोर्ट में एक याचिका मामले में अहम फैसले पर सुनवाई हुई। यह सुनवाई जस्टिस सलिल श्रीवास्तव की सिंगल बेंच में हुई और उन्‍होंने ही ये फैसला सुनाया। इस याचिका में एक युवती ने अपने मायकेवालों से खतरा और अपनी सुरक्षा प्रदान करने की गुजारिश कोर्ट से की थी।

मुस्लिम युवक से शादी करने के बाद मायके वालों द्वारा मारपीट करने और सुरक्षा प्रदान करने की याचिका मामले हाईकोर्ट ने युवती से मारपीट करने के मामले में उसे सुरक्षा प्रदान करने के आदेश के साथ एक अहम भी टिप्‍पणी की। 

बता दें कि कोर्ट ने कहा है कि बालिग लोगों के शादीशुदा जीवन में परिवार को दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट का कहना है कि अगर परिवार के लोग चाहें तो उनसे सामाजिक संबंध खत्‍म कर सकते हैं। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पति को पत्‍नी के नाम पर आर्थिक गारंटी देने का भी आदेश दिया है।

कोर्ट ने मुस्लिम युवक से शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन करने वाली युवती को आर्थिक गारंटी देने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने ये आदेश युवती को आर्थिक सुरक्षा देने हेतु सुनाया है। कोर्ट ने आदेश जारी किया कि युवती के पति शादाब अहमद को तीन लाख रूपये की एफडी अपनी पत्नी के नाम करानी होगी।

इसके लिए कोर्ट ने शादाब अहमद को एक महीने का वक्त दिया है। कोर्ट का कहना है कि निकाहनामे में मेहर की रकम काफी कम है, जिसकी वजह से पत्नी को ये गारंटी मिलना जरूरी है। वहीं इस मामले में अब अगली सुनवाई आठ फरवरी को होगी।

गौरतलब है कि मुस्लिम युवक से शादी के लिए संगीता ने धर्म परिवर्तन किया था। धर्म बदलने के बाद संगीता ने अपना नाम शाइस्ता परवीन रख लिया था। जिसकी वजह से शाइस्ता उर्फ़ संगीता के परिवार वाले इस शादी से नाराज हैं। जिसकी वजह से संगीता के परिवारवालों ने उससे और शादाब से मारपीट की थी।

जिसके बाद सुरक्षा के लिए संगीता ने हाईकोर्ट में सुरक्षा की अर्जी दाखिल की थी। बता दें कि अदालत ने सुरक्षा के लिए बिजनौर के एसपी को आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने बेहद अहम टिप्पणी की है। जिसने कोर्ट ने कहा कि बालिग़ लोगों के शादीशुदा जीवन में परिवार समेत किसी को बेवजह दखल देने का अधिकार नहीं है।

परिवार को बेटे -बेटी के जीवन में दखल देने या उनसे मारपीट करने और धमकाने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट का कहना है कि महज़ दिखावे के लिए परेशान करने की प्रथा देश व समाज पर एक बुरे धब्बे की तरह है। कोर्ट ने आदेश दिया कि बालिग़ लोगों को अपनी पसंद के युवक व युवती के साथ रहने का पूरा अधिकार है।


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