किसान आन्दोलन: दिल्ली बार्डर पर डटे अन्नदाता, गृहमंत्री का प्रस्ताव मानने से इंकार

टीम भारतदीप |

दिल्ली बार्डर पर डटे अन्नदाता
दिल्ली बार्डर पर डटे अन्नदाता

किसानों का कहना है कि सरकार हमारी मांगों पर गंभीर नहीं है और ऐन-केन-प्रकारेण हमारे आन्दोलन को कमजोर करना चाहती है। वहीं भारतीय किसान संघ (डकौंदा) के अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जगिल के मुताबिक हमने फैसला किया है कि हम दिल्ली की सीमाओं पर जमे रहेंगे।

नई दिल्ली । केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का गुस्सा लगातार बढ़ता ही जा रही है। प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गृहमंत्री अमित शाह का प्रस्ताव ठुकराते हुए  फैसला लिया कि वे दिल्ली के बुराड़ी मैदान में नहीं जाएंगे और दिल्ली की सीमाओं पर ही डटे रहेंगे।

यहां हजारों किसानों ने लगातार पांचवे दिन सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर अपना प्रदर्शन जारी रखा। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने  किसानों से अपील की थी कि वे बुराड़ी के संत निरंकारी मैदान चले जाएं। शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए किसानों को इस मैदान की पेशकश की गई है।

शाह ने यह भी कहा था कि निरंकारी मैदान में चले जाने के बाद केंद्र सरकार उनसे वार्ता करने को तैयार है। वहीं किसानों ने उसे खुली जेल करार करते हुए कहा है कि सरकार हमारी मांगों पर गंभीर नहीं है और ऐन-केन-प्रकारेण हमारे आन्दोलन को कमजोर करना चाहती है।

वहीं भारतीय किसान संघ (डकौंदा) के अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जगिल के मुताबिक हमने फैसला किया है कि हम दिल्ली की सीमाओं पर जमे रहेंगे। हम बुराड़ी नहीं जाएंगे। उनके मुताबिक कई किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने यह फैसला किया है।

बीकेयू (कादियान) के प्रमुख हरमीत सिंह कादियान के मुताबिक प्रदर्शनकारी किसान बुराड़ी मैदान नहीं जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्री की अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए कादियान ने सिंघू बॉर्डर के नजदीक पत्रकारों से कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के साथ बातचीत करने के लिए कोई शर्त नहीं थोपनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि हम कोई पूर्व शर्त नहीं चाहते हैं। उनके मुताबिक बिना किसी शर्त के बैठक हो। हम बातचीत के लिए राजी हैं। किसान नेता ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान जल्द ही प्रदर्शन में शामिल हो सकते हैं।

गौरतलब है कि ऑल-इंडिया किसान संघर्ष को-ओर्डिनेशन कमेटी, राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के अलग-अलग धड़ों ने “दिल्ली चलो“ मार्च का आह्वान किया था। बता दें कि किसान मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

उनको आशंका है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और उन्हें बड़े उद्योगपतियों के “रहम“ पर उन्हें छोड़ दिया जाएगा। वहीं केंद्र सरकार ने किसानों के कई संगठनों को दूसरे चरण की बातचीत करने के लिए तीन दिसंबर को दिल्ली में आमंत्रित किया है।
 


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