सिस्टम ने खता की किसानों ने सजा पाई, यूपी के लाखों किसान "प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि" से वंचित

bharatdeep news |

तमाम शिकायतों के बाद अब प्रशासन ने किसानों की सुध ली है।
तमाम शिकायतों के बाद अब प्रशासन ने किसानों की सुध ली है।

बहरहाल इस बार जिस कारण किसानों को दुश्वारी हुई उसका कारण कम्प्यूटर में डाटा फीडिंग में हुई गड़बड़ी को बताया जा रहा है। दरअसल उत्तर प्रदेश में डाटा फीडिंग की गड़बड़ी के कारण लाखों किसान "प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि" से वंचित हुए हैं। इस बारे में प्रशासन का कहना है कि ये लापरवाही दिल्ली के स्तर पर सॉफ्टवेयर की वजह से हुई है।

लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के लाखों किसान सिस्टम की खामी का खामियाजा भुगतने को मजबूर है। दरअसल खेती किसानी को बीते 70 सालों में मुनाफे का सौदा न बना पाने के मूल कारणों में प्रमुख सिस्टम की खामियां ही रही है। बहरहाल इस बार जिस कारण किसानों को दुश्वारी हुई उसका कारण कम्प्यूटर में डाटा फीडिंग में हुई गड़बड़ी को बताया जा रहा है।

दरअसल उत्तर प्रदेश में डाटा फीडिंग की गड़बड़ी के कारण लाखों किसान "प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि" से वंचित हुए हैं। इस बारे में प्रशासन का कहना है कि ये लापरवाही दिल्ली के स्तर पर सॉफ्टवेयर की वजह से हुई है। वहीं किसानों के मुताबिक किसी का आधार कार्ड गलत हुआ है तो किसी की तहसील ही गलत कर दी गई है।

जो बात सामने निकल कर सामने आई है उसके मुताबिक बरेली मंडल के 30 हजार से ज्यादा और लखनऊ मंडल में 53 हज़ार किसान छूटे हैं। लखीमपुर जिले के धौरहरा तहसील के किसान संगमलाल मिश्रा के मुताबिक उन्हें एक भी बार किसान सम्मान निधि नहीं मिली है।

वहीं संगमलाल के मुताबिक कम्प्यूटर पर उनका नाम गोला तहसील में दर्ज है, जिस कारण से उनका सत्यापन ही नहीं हो सका है। लखीमपुर खीरी के प्रमोद गुप्ता का भी ठीक यही मामला है। वहीं इस मामले में लेखपाल का कहना है कि पहले तहसील को ठीक कराना जरूरी है।

वहीं खीरी से भाजपा सांसद अजय मिश्र के मुताबिक उन्होंने कृषि कल्याण मंत्री सूर्य प्रताप शाही को पत्र लिखकर किसान सम्मान निधि की राशि किसानों को दिलाने के लिए पत्र लिखा है। वहीं तमाम शिकायतों के बाद अब प्रशासन ने किसानों की सुध ली है।

इस बारे में अपर मुख्य सचिव, कृषि डॉ देवेश चतुर्वेदी के मुताबिक कैंप लगाकर किसानों की समस्या को दूर किया जाएगा। 31 मार्च तक सभी किसानों के खातों में धनराशि भेजने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

बताया जा रहा है कि अब तक बरेली मंडल के 30 हजार, मुरादाबाद मंडल के 41 हजार, लखनऊ से 53 हजार, अयोध्या के 62 हजार, देवीपाटन के 57 हजार, मेरठ के 40 हजार, प्रयागराज के 30 हजार, अलीगढ़ के 1 लाख 40 हजार, गोरखपुर के 1 लाख 30 हजार, वाराणसी के 90 हजार और बस्ती के 1 लाख 48 हजार से अधिक किसान इस तकनीकी गलती का खामियाजा उठा रहे हैं और अभी तक इस योजना का लाभ उठाने से वंचित हुए है।


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