कोरोना का डर: पति ने सुरक्षित दूरी बनाई तो पत्नी पहुंची कोर्ट, कराना पड़ा पुरुषत्व टेस्ट

टीम भारत दीप |

परेशान बीबी ने उस पर नपुंसक होने का आरोप लगाकर तलाक मांगा।
परेशान बीबी ने उस पर नपुंसक होने का आरोप लगाकर तलाक मांगा।

कोरोना वायरस का डर ​किस तरह कुछ लोगों के दिल में बैठ गया है कि इसकी कल्पना भी करना मुश्किल हो गया है। एक अजीबों-गरीब मामला भोपाल में सामने आया। यहां एक युवक कोरोना से बचने सुरक्षित शारीरिक दूरी का इतनी गंभीरता से पालन करने लगा कि वह पांच माह से अपनी बीबी से भी दूर रहने लगा।

भोपाल। कोरोना वायरस का डर ​किस तरह कुछ लोगों के दिल में बैठ गया है कि इसकी कल्पना भी करना मुश्किल हो गया है। एक अजीबों-गरीब मामला भोपाल में सामने आया।

यहां एक युवक कोरोना से बचने सुरक्षित शारीरिक दूरी का इतनी गंभीरता से पालन करने लगा कि वह पांच माह से अपनी बीबी से भी दूर रहने लगा। परेशान बीबी ने उस पर नपुंसक होने का आरोप लगाकर तलाक मांगने लगी, मामला कोर्ट पहुंचा तो पति ने अपने पुरुषोत्व क टेस्ट कराकर साबित किया कि उसमें कोई कमी नहीं है।

इसके बाद पत्नी साथ रहने को तैयार हुई। भोपाल में विधिक प्राधिकरण के सामने ऐस ही मामला पहुंचा। इस मामले में एक पति को कोरोना फोबिया से बचने  पत्नी से सोशल डिस्टेंसिंग बनाना महंगा पड़ गया। इस डिस्टेंसिंग की वजह से नई-नवेली पत्नी रूठकर मायके चली गई।

उसने 5 महीने बाद प्राधिकरण में भरण-पोषण का आवेदन दिया। मामले में काउंसलिंग की तो पता चला कि कोरोना के डर से पति ने दाम्पत्य दायित्वों को नहीं निभाया।मालूम हो कि पत्नी ने युवक पर आरोप लगाया कि उसका पति दाम्पत्य संबंध निभाने लायक ही नहीं है।

पत्नी को मनाने के लिए पति को मेडिकल टेस्ट कराके पुरुषत्व का प्रमाण देना पड़ा। मामले में समझौता होने के बाद शुक्रवार को महिला पति के साथ ससुराल चली गई । दोनों की शादी 29 जून को हुई थी। प्राधिकरण में महिला ने 2 दिसंबर को आवेदन दिया था। उसने आरोप लगाए थे कि ससुराल वाले उसे परेशान करते हैं। उसकी शादी को 5 महीने ही हुए हैं।

पत्नी से दूर रहता था पति:पत्नी ने बताया कि शादी के बाद ससुराल वालों ने प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। पति फोन पर तो अच्छी बातें करते थे, लेकिन पास नहीं आते थे। इसको लेकर दोनों के बीच विवाद होना शुरू हो गया।

महिला का कहना था कि जिससे उसने जीवनभर का रिश्ता जोड़ा, वही दूरी बना रहा था। उसने यह बात अपने परिजन को बताई। मायके वालों ने पति से बात करना चाही, लेकिन उसने सही तरीके से उत्तर नहीं दिया। ससुराल वालों की प्रताड़ना और पति की बेरुखी को देखते हुए वह मायके आ गई और दो महीने यहीं रही। महिला का कहना है कि उसका पूरा जीवन पड़ा है, लिहाजा भरण-पोषण का खर्चा दिया जाए।

पति फिट निकला तो पत्नी साथ रहने को हुई राजी: मामले की गंभीरता को देखते हुए प्राधिकरण ने मेडिकल कराने की सलाह ही। पति ने प्राधिकरण के सामने मेडिकल रिपोर्ट रखी, जिसमें वह फिट था। मेडिकल रिपोर्ट को देखने के बाद पाया कि महिला ने पति पर झूठा आरोप लगाया था।

महिला और उसके परिजन की काउंसलिंग की गई। उसके बाद महिला अपने पति के साथ ससुराल जाने को तैयार हो गई। काउंसलर ने दोनों को कोरोना टेस्ट कराके समस्या के निदान की सलाह दी।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव संदीप शर्मा ने बताया कि महिला ने पति पर झूठे आरोप लगाए थे कि वह दांम्पत्य संबंध निभाने योग्य नहीं है। काउंसलिंग के दौरान खुलासा हुआ कि पति को कोरोना फोबिया था, जिसकी वजह से वह पत्नी से भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा था।


संबंधित खबरें