पांच साल बाद बच्ची के कातिल को मिली सजा तो दादी बोलीं अब मिला सुकून
मथुरा के बल्देव की मूल निवासी आठ वर्षीय बालिका का परिवार सेंट जोंस चौराहे के फुटपाथ पर रहता था। बालिका की मां उसे छोड़कर चली गई थी। इसके चलते बालिका की देखभाल उसकी दादी और पिता करते थे। बालिका 16 मार्च 2016 की रात को फुटपाथ पर अपनी दादी के पास सो रही थी। अगले दिन सुबह पांच बजे दादी उठीं तो बालिका गायब थी। पिता और अन्य लोगों ने उसकी तलाश में जुटे थे।
आगरा। पांच साल पहले एक लाॅ के छात्र द्वारा अपनी हवस मिटाने के लिए आठ साल की बच्ची को फुटपाथ से ले जाकर दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी थी। हत्या करके लाश को खेल के मैदान में फेंक दिया था।
मंगलवार को विशेष न्यायाधीश पाक्साे एक्ट वीके जायसवाल ने विधि छात्र हरीश ठाकुर को अपहरण,दुष्कर्म, हत्या, साक्ष्य नष्ट करने, पाक्सो व एससी-एसटी एक्ट में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
इसके साथ ही आरोपित दो लाख 55 हजार रुपये के अर्थ दंड से भी दंडित किया है। दोषी को सजा सुनाए जाने के बाद मृतक बच्ची की दादी बोली अब चयन की नींद से सकूंगी, क्योंकि उस दिन के बाद मैंने कभी भी चयन की नींद नहीं सो पाई थी।
मथुरा के बल्देव की मूल निवासी आठ वर्षीय बालिका का परिवार सेंट जोंस चौराहे के फुटपाथ पर रहता था। बालिका की मां उसे छोड़कर चली गई थी। इसके चलते बालिका की देखभाल उसकी दादी और पिता करते थे।
बालिका 16 मार्च 2016 की रात को फुटपाथ पर अपनी दादी के पास सो रही थी। अगले दिन सुबह पांच बजे दादी उठीं तो बालिका गायब थी। पिता और अन्य लोगों ने उसकी तलाश में जुटे थे। इसी दाैरान आगरा कालेज के खेल मैदान पर टहलने आए लोगों ने बालिका का शव वहां पड़ा देखा। इसकी सूचना पुलिस को दी।
बालिका को अगवा करके दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या की गई थी। तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक ने घटना को गंभीरता से लेते हुए पर्दाफाश के लिए कई टीम लगाई थीं। पुलिस को सीसीटीवी फुटेज की मदद से सुराग मिलने के बाद आरोपित हरीश ठाकुर निवासी बाग मुजफ्फर खां हरीपर्वत को गिरफ्तार किया था।
पुलिस ने उसे जेल भेजने के बाद आरोप पत्र अदालत में प्रस्तुत किया था। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट वीके जायसवाल ने आदेश में कहा कि देश.प्रदेश में नाबालिग बच्चियों के साथ इस तरह की घटनाएं बढ़ना चिंताजनक है। आरोपित ने मात्र अपनी वासना की पूर्ति के लिए फुटपाथ पर सोती बालिका को अगवा करके जघन्य कृत्य किया। अदालत का मानना है कि आरोपित को ऐसा दंड दिया जाना चाहिए कि उसे अपने किए पर पछतावा हो तथा समाज में उचित संदेश जाए।
पोती को इंसाफ मिलते ही दादी की आंखों में आ गए आंसू
पोती के दुष्कर्मी हत्यारे को आजीवन कारावास की सजा सुनाने का अदालत का फैसला आने के बाद वहां माैजूद दादी की आंखों में आंसू आ गए। दादी का कहना था कि 16 की रात के बाद वह आज तक चैन की नींद नहीं सो सकी थीं।
हमेशा यही सोचतीं कि काश वह उस रात गहरी नींद में नहीं सो रही होतीं तो पोती की जान बच सकती थी। वह उसे अपनी जान से ज्यादा प्यार करती थीं। पोती और वह एक दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते थे। बालिका के पिता और भाई-बहन भी अदालत के फैसले से खुश थे। पिता ने बताया कि वह तीन वर्ष से हर तारीख पर अदालत में आता था। आरोपित अब अपनी सारी जिंदगी जेल में काटेगा।