फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह ने पूरी की जिंदगी की रेस, फिर भी यह इच्छा रह गई अधूरी
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मिल्खा सिंह के निधन का समाचार मिलते ही पूरे देश में शोक की लहर दौर गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने मिल्खा को श्रद्धांजलि दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने एक शानदार खिलाड़ी खो दिया। मिल्खा ने असंख्य भारतीयों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई थी। मिल्खा के व्यक्तित्व ने उन्हें लाखों लोगों का चहेता बना दिया। उनके निधन से दुखी हूं।
चंडीगढ़। फ्लाइंग सिख के नाम से पूरे विश्व में ख्याति अर्जित करने वाले पूर्व भारतीय खिलाड़ी मिल्खा सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। अपनी प्रतिभा से हर भारतीय के दिल में जगह बनाने वाले रफ्तार के बादशाह मिल्खा ने शुक्रवार रात 11.30 बजे दुनिया को अलविदा कह गए। मालूम हो कि वह कोरोना संक्रमण से जूझ रहे थे। पांच दिन पहले ही उनकी पत्नी ने दुनिया को अलविदा कहा था।
91 वर्षीय पूर्व भारतीय खिलाड़ी मिल्खा सिंह कोरोना संक्रमित थे। उनका दिल्ली में एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। डॉक्टरों ने रात 11:30 बजे उनकी मृत्यु की पुष्टि की। अभी पांच दिन पहले ही उनकी पत्नी निर्मल कौर का पोस्ट कोविड संक्रमण से निधन हुआ था। मिल्खा सिंह का चंडीगढ़ में 15 दिनों से इलाज चल रहा था। उन्हें 3 जून को ऑक्सीजन लेवल गिरने के कारण आईसीयू में भर्ती कराया गया था। 20 मई को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
पीएम ने दी श्रद्धांजलि
मिल्खा सिंह के निधन का समाचार मिलते ही पूरे देश में शोक की लहर दौर गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने मिल्खा को श्रद्धांजलि दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने एक शानदार खिलाड़ी खो दिया। मिल्खा ने असंख्य भारतीयों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई थी। मिल्खा के व्यक्तित्व ने उन्हें लाखों लोगों का चहेता बना दिया। उनके निधन से दुखी हूं।
निर्मल कौर भारतीय वॉलीबॉल टीम की कप्तान रह चुकीं
मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल कौर का पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशंस के कारण निधन हो गया था। वे 85 साल की थीं। निर्मल भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान रह चुकी थीं। साथ ही वे पंजाब सरकार में स्पोर्ट्स डायरेक्टर (महिलाओं के लिए) के पद पर भी रही थीं।
मिल्खा सिंह के परिवार की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि निर्मल कौर का निधन 13 जून को शाम 4.00 बजे हुआ। बयान में आगे कहा गया था कि आईसीयू में भर्ती होने के कारण मिल्खा सिंह पत्नी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके।
पाकिस्तान में हुआ था जन्म
मिल्खा सिंह का जन्म पाकिस्तान में 20 नवंबर 1929 को गोविंदपुरा के एक सिख परिवार में हुआ था। खेल और देश से बहुत लगाव था, इस वजह से विभाजन के बाद भारत भाग आए और भारतीय सेना में शामिल हो गए। कुछ वक्त सेना में रहे लेकिन खेल की तरफ झुकाव होने की वजह से उन्होंने क्रॉस कंट्री दौड़ में हिस्सा लिया। इसमें 400 से ज्यादा सैनिकों ने दौड़ लगाई। मिल्खा 6वें नंबर पर आए।
भारत के लिए जीता था गोल्ड
मिल्खा सिंह ने अपने सपने को पूरा करने के पूरे जी जान से जुट गए। 1958 कॉमनवेल्थ गेम्स में ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में भारत के लिए पहला गोल्ड जीता था। अगले 56 साल तक यह रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ सका।1956 में मेलबर्न में आयोजित ओलिंपिक खेल में भाग लिया।
कुछ खास नहीं कर पाए, लेकिन आगे की स्पर्धाओं के रास्ते खोल दिए। 1958 में कटक में आयोजित नेशनल गेम्स में 200 और 400 मीटर में कई रिकॉर्ड बनाए। इसी साल टोक्यो में आयोजित एशियाई खेलों में 200 मीटर, 400 मीटर की स्पर्धाओं और राष्ट्रमंडल में 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक जीते। उनकी सफलता को देखते हुए, भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया।
इस तरह मिला फ्लाइंग सिख नाम
मिल्खा सिंह पाकिस्तान में आयोजित एक दौड़ के लिए गए। इसमें उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। उनके प्रदर्शन को देखकर पाकिस्तान के जनरल अयूब खान ने उन्हें 'द फ्लाइंग सिख' नाम दिया। 1960 को रोम में आयोजित समर ओलिंपिक में मिल्खा सिंह से काफी उम्मीदें थीं। 400 मीटर की रेस में वह 200 मीटर तक सबसे आगे थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने अपनी गति धीमी कर दी। इससे वह रेस में पिछड़ गए और चौथे नंबर पर रहे। 1964 में उन्होंने एशियाई खेल में 400 मीटर और 4x400 रिले में गोल्ड मेडल जीते।
मालूम हो कि मिल्खा सिंह के जीवन पर साल 2013 में बॉलीवुड हिंदी फिल्म- भाग मिल्खा भाग बनी थी। इसका निर्देशन राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने किया, जबकि लेखन प्रसून जोशी का था। मिल्खा सिंह की भूमिका में फरहान अख्तर नजर आए थे। अप्रैल 2014 में 61वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में इस फ़िल्म को सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक फिल्म का पुरस्कार मिला। इसके अतिरिक्त सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी के लिए भी पुरस्कृत किया गया था।
यह इच्छा रह गई अधूरी
मिल्खा सिंह चाहते थे कि 125 करोड़ की आबादी वाले देश में दूसरा मिल्खा सिंह आना चाहिए था। दूसरा यह था कि वे अपने बेटे जीव मिल्खा सिंह को कभी भी स्पोर्ट्स पर्सन नहीं बनाना चाहते थे। यह बात उन्होंने 4 साल पहले छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कही थी।
फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह ने कहा था- नहीं जानता था कि ओलिंपिक गेम्स होते क्या हैं, एशियन गेम्स और वन हंड्रेड मीटर और फोर हंड्रेड मीटर रेस क्या होती है? मिल्खा सिंह तब दौड़ता था जब पैरों में जूते नहीं होते थे। न ही ट्रैक सूट होता था। न कोचेस थे और न ही स्टेडियम। 125 करोड़ है देश की आबादी। मुझे दुख इस बात का है कि अब तलक कोई दूसरा मिल्खा सिंह पैदा नहीं हो सका।
उन्होंने कहा था कि मैं 90 साल का हो गया हूं, दिल में बस एक ही ख्वाहिश है कोई देश के लिए गोल्ड मेडल एथलेटिक्स में जीते। ओलंपिक में तिरंगा लहराए। नेशनल एंथम बजे। अपने हुनर से कई खिताब जीतने वाले मिल्खा सिंह ने दिल की ये टीस रोटरी क्लब के इवेंट ब्लेसिंग में शेयर की। तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन वे बतौर स्पेशल गेस्ट पहुंचे थे।
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