संतकबीरनगर के पूर्व बीजेपी सांसद शरद त्रिपाठी का लंबी बीमारी से निधन, जानिए उनके बारे में

टीम भारत दीप |

2014 में बसपा के भीम शंकर उर्फ कुशल तिवारी को पराजित करके सदर सांसद चुने गए थे।
2014 में बसपा के भीम शंकर उर्फ कुशल तिवारी को पराजित करके सदर सांसद चुने गए थे।

पूर्व सासंद के निधन की सूचना मिलते ही गोरखपुर समेत तमाम जगहों पर भाजपा नेताओं में शोक की लहर दौड़ पड़ी लोगों ने उनके निधन पर गहर दुख जताया। मालूम हो कि शरद त्रिपाठी देवरिया के सांसद और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमापति राम त्रिपाठी के पुत्र शरद त्रिपाठी वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर संतकबीरनगर से सांसद चुने गए थे

संतकबीरनगर। यूपी के संतकबीरनगर के पूर्व सांसद शरद त्रिपाठी का बीमारी की वजह से निधन हो गया है। वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पूर्व सांसद ने 50 वर्ष की उम्र में बुधवार की रात गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर मिलते ही उनके गृह जनपद में शोक की लहर दौड़ पड़ी। वहीं तमाम भाजपा नेताओं उनके निधन पर शोक संवेदना व्यक्त की। 

मालूम हो ​कि शरद त्रिपाठी लंबे समय से बीमार चल रहे थे, उन्हें लि‍वर सिरोसिस नाम की बीमारी थी। बेहतर इलाज के लिए अभी कुछ दिनों पहले गुरुग्राम के के मेदांता अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था।

पिछले दो-तीन दिन से उनकी हालत में सुधार होने की बजाय स्थिति गंभीर होती चली गई थी। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उनके साथ में उनका पूरा परिवार वहीं मौजूद था, उनके निधन की खबर मगहर की बीजेपी चैयरमैन संगीता वर्मा ने फेसबुक पर दी। 

पूर्व सासंद के निधन की सूचना मिलते ही गोरखपुर समेत तमाम जगहों पर भाजपा नेताओं में शोक की लहर दौड़ पड़ी लोगों ने उनके निधन पर गहर दुख जताया। मालूम हो कि शरद त्रिपाठी देवरिया के सांसद और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमापति राम त्रिपाठी के पुत्र शरद त्रिपाठी वर्ष 2014 में भाजपा के टिकट पर संतकबीरनगर से सांसद चुने गए थे।

बताया जा रहा है कि उनके रीड साहब धर्मशाला स्थित आवास पर परिवार का कोई सदस्य नहीं है, लेकिन उनके समर्थक, शुभचिंतक और जानने वाले लगातार पहुंच रहे थे।

एक विवाद ने पूरा राजनीतिक करियर बर्बाद कर दिया

आपकों बता दे कि 6 मार्च 2019 को एक बैठक के दौरान जब मेंहदावल से भाजपा विधायक राकेश सिंह बघेल और उनके बीच पत्थर पर नाम लिखे जाने को लेकर तू-तू मैं- मै हुई और फिर विकास योजनाओं की मीटिंग के दौरान प्रभारी मंत्री आशुतोष टंडन और डीएम की मौजूदगी में सरेआम जूता कांड सामने आया था।

 शरद शरद त्रिपाठी इस कांड से काफी दुखी थे, इसी कांड की वजह से उनका पूरा राजननी​तिक करियर समाप्त हो गया। अगले सांसदीय के चुनाव में उनकी जगह उनके पिता रमापति त्रिपाठी को देवरिया से लोकसभा टिकट दिया गया था।  

बता दें कि उनके मामले की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक गई थी, उनके पिता राजनाथ सिंह के करीबी माने जाते हैं। इस वजह से उन्होंने बीच-बचाव की कोशिश की, लेकिन मामला हाथ से निकल गया था। शरद त्रिपाठी राजनीति में जितनी तेजी से आगे बढ़े थे उतनी तेजी से ढलान पर आ गए। हालांकि इस दौरान उनके बीमार रहने की खबरें भी सामने आने लगीं थीं।

इस तरह रहा राजनीतिक सफर

शरद त्रिपाठी 2009 के लोकसभा चुनाव में संतकबीर से भाजपा नगर भाजपा के उम्मीदवार थे लेकिन तब उन्हें पराजय मिली थी। 2014 में बसपा के भीम शंकर उर्फ कुशल तिवारी को पराजित करके सदर सांसद चुने गए थे।

12 जून 2017 हाउस कमेटी के सदस्य नियुक्त हुए। 1 सितंबर 2014 को विदेश मामलों की स्थाई समिति के सदस्य बनाए गए थे। वहीं 1 सितंबर 2014 को ग्रामीण विकास मंत्रालय पंचायती राज पेयजल और स्वच्छता पर समिति के सदस्य भी चुने गए थे।

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