मरने से पहले अपना मकबरा बनवाना चाहता है पूर्व कर्नल, नहीं मिल रही जमीन

टीम भारत दीप |

उनकी पत्नी का 14 अगस्त 2016 को इंतकाल हुआ था और उन्हें दफनाने में बड़ी मुश्किल हुई थी।
उनकी पत्नी का 14 अगस्त 2016 को इंतकाल हुआ था और उन्हें दफनाने में बड़ी मुश्किल हुई थी।

सैय्यद मोअज्जम अली मूलरूप से हमीरपुर जिले के कजियाना मोहल्ले के रहने वाले हैं। वह यहां ओल्ड कैंट में लेफ्टिनेंट कर्नल पद से वर्ष 1996 में सेवानिवृत्त हुए। मेंहदौरी में प्राइमरी स्कूल के बगल घर बनवाकर रहने लगे और अब प्रयागराज के निवासी हो गए हैैं। मेंहदौरी में ही कब्रिस्तान है लेकिन वहां मिट्टी खोदकर ही दफनाने की अनुमति है।

प्रयागराज। प्रदेश के प्रयागराज शहर में एक सेना का पूर्व अधिकारी अपने मरने के बाद सुकून से रहने के लिए एक ढाई गज का मकबरा बनवाना चाहता है। इसके लिए उसने सरकार ढाई गज जमीन के लिए आवेदन भी दिया है। उसका कहना है कि वह उस जमीन के बदल मुंह मांगी कीमत देने को तैयार है। 

मेंहदौरी निवासी अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट कर्नल सैय्यद मोअज्जम अली ने जिलाधिकारी, प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) उपाध्यक्ष और एसडीएम (सदर) के पास 15 अक्टूबर 2019 को फरियाद की थी।

वह जमीन की मुंह मांगी कीमत देने तैयार हैं, लेकिन, सवा साल बाद भी कहीं से  जवाब नहीं मिला है। उपजिलाधिकारी (सदर) अजय नारायण सिंह कहते हैैं कि मकबरे, मंदिर आदि के लिए सरकारी जमीन नहीं दी जा सकती।

पत्नी के इंतकाल पर हुई थी परेशानी

सैय्यद मोअज्जम अली मूलरूप से हमीरपुर जिले के कजियाना मोहल्ले के रहने वाले हैं। वह यहां ओल्ड कैंट में लेफ्टिनेंट कर्नल पद से वर्ष 1996 में सेवानिवृत्त हुए। मेंहदौरी में प्राइमरी स्कूल के बगल घर बनवाकर रहने लगे और अब प्रयागराज के निवासी हो गए हैैं।

मेंहदौरी में ही कब्रिस्तान है लेकिन वहां मिट्टी खोदकर ही दफनाने की अनुमति है। इस कब्रिस्तान में अब जगह नहीं बची है,वे बताते है कि उनकी पत्नी सुल्ताना परवीन का 14 अगस्त 2016 को इंतकाल हुआ था और उन्हें दफनाने में बड़ी मुश्किल हुई थी।

स्टेटलैंड की ढाई गज जमीन मांगी 

अवकाश प्राप्त 77 वर्षीय पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल सैय्यद मोअज्जम अली कहते हैैं कि 'अंतिम समय शांति से जाऊं, इसलिए जिंदा रहते ही मकबरे का निर्माण कराना चाहता हूं।' उन्होंने कब्रिस्तान से सटी स्टेटलैंड की ढाई गज जमीन मांगी है, क्योंकि मकबरे के लिए इतनी ही जमीन चाहिए। कहते हैैं कि उस जमीन का रास्ता कब्रिस्तान के बीच से है, इसलिए वहां किसी तरह का निर्माण भी नहीं हो सकता। 

स्टेटलैंड किसी को बेची नहीं जा सकती

पीडीए के उपाध्यक्ष अंकित अग्रवाल ने कहा कि स्टेटलैंड के कस्टोडियन एसडीएम (सदर) हैं। स्टेटलैंड किसी को बेची नहीं जा सकती। शासन स्तर पर ही कोई निर्णय लिया जा सकता है। इसमें प्राधिकरण की कोई भूमिका नहीं है।


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