मुख्यमंत्री का ओएसडी बनकर अफसरों को चूना लगाने वाले चार ठग गिरफ्तार

चारों आरोपी सचिवालय अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ किसी जांच के बारे में पता लगाते थे। इसके बाद खुद सीएम के ओएसडी बनकर जांच में कार्रवाई की धमकी देकर उनसे रुपये की मांग करते थे। अफसरों को झांसे में आने के बाद वह एनेक्सी भवन के आसपास अपने साथियों प्रदीप श्रीवास्तव व राधेश्याम कश्यप को सरकारी कर्मचारी बनाकर रुपये लेने भेजते थे।
लखनऊ। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी में ठगों ने आम आदमी की जगह खास लोगों को ठगने का ऐसा खेल खेला कि जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। इन ठगों ने ठगी के लिए मुख्यमंत्री का सहारा लिया। खुद को सीएम का ओएसडी बनकर अधिकारियों से वसूली करते थे।
ऐसे चार लोगों को एसटीएफ ने गिरफ्तार करके पूछताछ कर रही है। यह गिरोह 2007 से अफसरों को चूना लगाते थे। यह गिरोह विधानसभा से लेकर सचिवालय के आस पास रहकर अधिकारियों को अपने जाल में फंसाते थे, और यहीं से पैसा भी लेते थे ताकि अफसरों को फर्जीवाड़ा का शक नहीं हो।
एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि कन्नौज निवासी प्रमोद कुमार दुबे उर्फ दया शंकर सिंह उर्फ संतोष कुमार सिंह उर्फ बलजीत सिंह, लखनऊ के इंदिरानगर निवासी अतुल शर्मा उर्फ मनोज कुमार सिंह तालकटोरा निवासी प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, बहराइच के राधेश्याम कश्यप को पकड़ा गया है।
पूछताछ में अतुल शर्मा ने बताया कि वह सचिवालय में न्याय विभाग में सहायक समीक्षा अधिकारी था,लेकिन 2007 और 2010 में सरकारी अधिकारियों से ठगी करने के आरोप में जेल जाने के बाद निलम्बित कर दिया गया था। जेल से छूटने के बाद उसने पुराने साथियों से संपर्क किया और दोबारा प्रमोद के साथ मिलकर अधिकारियों को ठगने लगे।
चारों आरोपी सचिवालय अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ किसी जांच के बारे में पता लगाते थे। इसके बाद खुद सीएम के ओएसडी बनकर जांच में कार्रवाई की धमकी देकर उनसे रुपये की मांग करते थे। अफसरों को झांसे में आने के बाद वह एनेक्सी भवन के आसपास अपने साथियों प्रदीप श्रीवास्तव व राधेश्याम कश्यप को सरकारी कर्मचारी बनाकर रुपये लेने भेजते थे।
2007 में शासन के कुटरचित आदेश व दस्तावेज तैयार करने के आरोप मे प्रमोद दुबे व अन्य साथियों के खिलाफ भी कोतवाली हजरतगंज में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इसमें प्रमाेद जेल गया और छूटने के बाद फिर 2010 में चित्रकूट मे तैनात सीओ अखिलेश्वर पाण्डेय,से ठगी करने लगा।
इस मामले में भी हजरतगंज कोतवाली में केस दर्ज किया गया। पूछताछ में अतुल ने बताया कि पुरानी घटनाओं से सबक लेकर अब रिश्वत का पैसा नकद लेते थे। एसटीएफ के मुताबिक यह गिरोह अब तक 2 करोड़ से अधिक की ठगी कर चुका है।
यह बरामद हुआ
एडीजी ने बताया कि आरोपियों के पास से 14 मोबाइल फोन, 22 सिमकार्ड, 4 आधार कार्ड, 6 वोटर कार्ड, 2 पैन कार्ड, 6 बैंकों के एटीएम कार्ड, एक शापिंग कार्ड, बैंक खातों में जमा रुपए 15 लाख की पर्चियां, 5 बैंक पासबुक 6 बैंक चैकबुक, 2 ड्राइविंग लाइसेंस, एक सचिवालय सहायक समीक्षा अधिकारी का परिचय पत्र, एक धर्मशाला स्टाफ परिचय पत्र, 15,500 नकद, दो सोने की चेन, 5 सोने की अंगूठी बरमाद हुई हैं।