निजीकरण का रिजल्टः ठेके पर काम कर रहे कर्मियों ने यूं बेच दिए मोदी सरकार के ‘सपने‘
डिजिटल पटरी पर दौड़ रही केंद्र सरकार के सामने पहली बार इतना बड़ा घोटाला सामने आया है। इसमें 96 ठेकाकर्मियों की संलिप्तता बताई जा रही है।
तमिलनाडु। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना में घोटाले का मामला सामने आया है। तमिलनाडु में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के सिस्टम में सेंध लगाकर करोड़ों रुपये फर्जी खातों में ट्रांसफर किए गए। सरकार को जब तब पता लगता 61 करोड़ पार हो चुके थे।
इस मामले के सामने आने के बाद सरकार सतर्क हो गई है। डिजिटल पटरी पर दौड़ रही केंद्र सरकार के सामने पहली बार इतना बड़ा घोटाला सामने आया है। इसमें 96 ठेकाकर्मियों की संलिप्तता बताई जा रही है।
बताया गया है कि तमिलनाडु में अब तक 94 हजार करोड़ रुपये प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के बैंक अकाउंट में भेजे जा चुके हैं। इसमें से फर्जीखातों में भेजे गए करीब 61 करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है। अब सरकार वसूली को लेकर कड़ा रुख अपना रही है।
सरकार ने साफ किया है कि जो इसके हकदार नहीं हैं, उन्हें पैसा नहीं मिलेगा। अगर किसी तरह से लाभ ले लिया है तो उसे वापस लिया जाएगा। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र के साथ विचार-विमर्श करके एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम तैयार कर प्रणाली को सुदृढ़ करने का काम शुरू किया गया है।
96 कांट्रैक्ट कर्मचारियों की सेवा समाप्त
सरकार का कहना है कि गलत तरीके से लिया गया पैसा वापस न करने पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। लापरवाही करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों पर भी एक्शन लिया जाएगा। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि असली किसान परिवारों की पहचान करने की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है।
गड़बड़ी का स्तर इतना बड़ा है कि तमिलनाडु में अब तक 5.95 लाख लाभार्थियों के अकाउंट की जांच की गई है, जिसमें से 5.38 लाख फर्जी निकले हैं। अब संबंधित बैंकों के जरिए फर्जी लाभार्थियों के बैंक अकाउंट में गई रकम को वसूला जा रहा है।
अपात्र लाभार्थियों के रजिस्ट्रेशन के लिए जिम्मेदार पाए गए 34 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है। 3 ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों तथा 5 सहायक कृषि अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है। वहीं 96 कांट्रैक्ट कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं हैं।
ऐसे हुई प्लानिंग
बड़ी संख्या में बुकिंग करने के लिए फर्जीवाड़ा करने वालों ने जिला अधिकारियों के लॉग-इन आईडी और पासवर्ड का दुरूपयोग किया था। कृषि विभाग द्वारा रखे गए कांट्रैक्ट कर्मचारी भी इस गैरकानूनी कार्य में शामिल पाए गए थे। राज्य सरकार ने तत्काल जिला अधिकारियों के पासवर्ड को बदल दिया था।
जब बड़े तादात में पैसों को खातों में भेजा जाने लगा तब सरकार ने ब्लॉक स्तरीय पीएम-किसान खातों एवं जिला स्तरीय पीएम-किसान लॉग-इन आईडी को निष्क्रिय कर दिया गया। ताकि फर्जीवाड़ा रुक जाए।
अब इन्हें मिलेगा लाभ
मोदी सरकार ने सभी किसानों के लिए पीएम-किसान स्कीम लागू भले ही कर दी है लेकिन इसके भी कुछ रूल्स हैं। जिन लोगों के लिए कंडीशन लागू है वो यदि गलत तरीके से फायदा उठा रहे हैं तो आधार वेरीफिकेशन में पता चल जाएगा।
सभी 14.5 करोड़ किसान परिवार इस स्किम के लिए योग्य माने गए हैं। जिन लोगों के नाम 1 फरवरी 2019 तक लैंड रिकॉर्ड में पाया जाएगा वही इसके हकदार होंगे। पति-पत्नी और 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को एक इकाई माना जाएगा।
ये पात्र नहीं
एमपी, एमएलए, मंत्री और मेयर को इसका लाभ नहीं मिलेगा, भले ही वो किसानी करते हों। मल्टी टास्किंग स्टाफ, चतुर्थ श्रेणी, समूह डी कर्मचारियों को छोड़कर केंद्र या राज्य सरकार में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को लाभ नहीं मिलेगा। यदि ऐसे लोगों ने लाभ लिया तो आधार अपने आप बता देगा।
पेशेवर, डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, वकील, आर्किटेक्ट, जो कहीं खेती भी करता हो उसे लाभ नहीं मिलेगा। इनकम टैक्स देने वालों और 10 हजार से अधिक पेंशन पाने वाले किसानों को भी लाभ से वंचित रखने का प्रावधान है।आधार वेरीफिकेशन के जरिए यदि किसी आयकर देने वाले ने स्कीम की दो किश्त ले भी ली है तो वो तीसरी बार में पकड़ा जाएगा।