फ्रेंच पोर्टल का दावा:राफेल डील में 2013 से पहले दी गई सुशेन गुप्ता को 65 करोड़ की घूस
आपकों बता दें कि इसी पत्रिका ने जुलाई में खबर दी थी कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए भारत के साथ 59,000 करोड़ रुपये के अंतर-सरकारी सौदे में संदिग्ध भ्रष्टाचार और पक्षपात की अत्यधिक संवेदनशील न्यायिक जांच का नेतृत्व करने के लिए एक फ्रांसीसी जज को नियुक्त किया गया है।
नई दिल्ली। फ्रांस की खोजी पत्रिका मीडियापार्ट ने फिर से दावा किया है कि फ्रांसीसी विमान कंपनी दासौ एविएशन ने भारत से राफेल विमान सौदा हासिल करने के लिए एक बिचौलिए को कम से कम 75 लाख यूरो (करीब 65 करोड़ रुपये) का भुगतान किया।
पत्रिका ने अपनी जांच पड़ताल में पाया कि बिचौलिए को यह भुगतान 2007 से 2012 की अवधि में मारीशस में किया गया। उस समय केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में संप्रग की सरकार थी।
आपकों बता दें कि इसी पत्रिका ने जुलाई में खबर दी थी कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए भारत के साथ 59,000 करोड़ रुपये के अंतर-सरकारी सौदे में संदिग्ध भ्रष्टाचार और पक्षपात की अत्यधिक संवेदनशील न्यायिक जांच का नेतृत्व करने के लिए एक फ्रांसीसी जज को नियुक्त किया गया है। रक्षा मंत्रालय और दासौ एविएशन की ओर से इस ताजा रिपोर्ट पर अब तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
पत्रिका ने ताजा रिपोर्ट में रविवार को फिर बताया कि मीडियापार्ट कथित फर्जी बिल प्रकाशित कर रही है, जिससे पता चलता है कि फ्रांसीसी विमान निर्माता दासौ एविएशन ने भारत से 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे को अंतिम रूप देने में मदद करने के लिए बिचौलिए को 75 लाख यूरो के कमीशन का भुगतान किया।
पत्रिका ने यह आरोप लगाया
पत्रिका ने गंभीर आरोप लगाया कि ऐसे दस्तावेज होने के बाद भी भारतीय जांच एजेंसियों ने मामले में आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि इस मामले में विदेश में स्थित कंपनियां, संदिग्ध अनुबंध और फर्जी बिल शामिल हैं।
मीडियापार्ट यह उजागर कर सकती है कि भारत की संघीय जांच एजेंसी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के पास अक्टूबर 2018 से इस बात के सुबूत थे कि दासौ एविएशन ने बिचौलिए सुशेन गुप्ता को कमीशन में 75 लाख यूरो का भुगतान किया।
भाजपा ने किया हमला
विदेशी पत्रिका द्वारा घुसखोरी का दावा किए जाने के बाद भाजपा आईटी सेल के संयोजक अमित मालवीय ने कांग्रेस पर हमला करते हुए अपने एक ट्वीट में बताया कि दासौ ने बिचौलिए सुशेन गुप्ता को 2004 से 2013 के बीच 146 लाख यूरो (107.9 करोड़ रुपये) का भुगतान किया।
तत्कालीन संप्रग सरकार कमीशन तो ले रही थी लेकिन सौदे को अंतिम रूप नहीं दे रही थी। राजग के सत्ता में आने पर फ्रांस सरकार के साथ नए सिरे से करार हुआ जिससे राहुल गांधी की उम्मीदों पर पानी फिर गया।
उल्लेखनीय है सात साल की कसरत के बाद राजग सरकार ने 23 सितंबर 2016 को 36 राफेल खरीदने के लिए दासौ के साथ करार किया था। राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस, सरकार पर हमलावर रही है।
उसने सरकार पर सौदे में अनियमितता का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार हर विमान 1,670 करोड़ रुपये से अधिक कीमत पर खरीद रही है, जबकि पूर्व संप्रग सरकार 126 विमानों के लिए प्रति विमान 526 करोड़ रुपये में सौदे को अंतिम रूप दिया था। साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने इस सौदे को लेकर कई सवाल उठाए, लेकिन सरकार ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।
राफेल निर्माता दासौ एविएशन और भारत के रक्षा मंत्रालय ने इससे पहले करार में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में इस सौदे की जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसके लिए कोई आधार नहीं है।
मीडियापार्ट की खबर पर अप्रैल में प्रकाशित एक बयान में दासौ एविएशन की ओर से कहा गया था कि यह समूह आर्गनाइजेशन फार इकानमिक कोआपरेशन एंड डेवलपमेंट के घूस निरोधक सम्मेलन और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करता है।
इसे भी पढ़ें...