गुप्त नवरात्रि 12 से, मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना से मिलता है विशेष फल

भारत दीप टीम |

इस दौरान मुख्य रूप से साधू व तांत्रिक मां दुर्गा की विशेष आराधना कर उनसे फल प्राप्त करते है।
इस दौरान मुख्य रूप से साधू व तांत्रिक मां दुर्गा की विशेष आराधना कर उनसे फल प्राप्त करते है।

गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की गुप्त रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। हिन्दू मन्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इस दौरान दुर्गा मां के विभिन्न स्वरूपों की गुप्त पूजा करने से विशेष फल मिलता है।

लखनऊ। माघ माह का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व माना जाता है।इसी माह गुप्त नवरात्रि का धार्मिक पर्व भी मनाया जाता है। देवी मां की आराधना का यह पर्व विशेष फल देने वाला भी बताया जाता है। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की गुप्त रूप से पूजा-अर्चना की जाती है।

हिन्दू मन्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इस दौरान दुर्गा मां के विभिन्न स्वरूपों की गुप्त पूजा करने से विशेष फल मिलता है। बताया जाता है कि इस दौरान मुख्य रूप से साधू व तांत्रिक मां दुर्गा की विशेष आराधना कर उनसे फल प्राप्त करते है। गुप्त नवरात्रि विशेषतः तांत्रिक साधना के लिए मनाई जाती है।

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक गुप्त नवरात्रि में लोग ध्यान-साधना करके दुर्लभ शक्तियां अर्जित करते हैं। यह साल में दो बार आती है। एक माघ में होती है जिसे माघ गुप्त नवरात्रि कहते हैं। जबकि दूसरी आषाढ़ माह में होती है। जिसे आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कहते हैं।

मां दुर्गा के इन स्वरूपों की होती है गुप्त आराधना

मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी,माता चित्रमस्ता,त्रिपुर भैरवी, मां धूम्रवती, माता बगलामुखी,मातंगी।

गुप्त नवरात्रि 12 फरवरी से 21 फरवरी तक
इस बार गुप्त नवरात्रि 12 फरवरी से 21 फरवरी तक रहेगी। पंडित ज्वाला मिश्र के अनुसार 12 फरवरी को कलश स्थापना मुहूर्त सुबह 08 बजकर 34 मिनट से 09 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।

मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। उपासक सामान्य नवरात्रि के समान ही व्रत और पूजा-अर्चना करते हैं।इस दौरान अखंड ज्योति जलाई जाती है। बताया जाता है कि कलश स्थापना कर देवी दुर्गा के सामने दुर्गा सप्तशती मार्ग और मार्खदेव पुराण का पाठ किया जाता है। नवरात्रि के सभी दिनों में उपवास या सात्विक आहार करने की प्रथा है।


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