जी -20 शिखर सम्मेलन: पीएम मोदी बोले- कट्टरपंथ और आतंकवाद का जरिया न बने अफगानिस्तान
मोदी ने अपनी बता रखते हुए कहा कि हमारे प्रयास से वहां कई परियोजना को पूरा किया गया,इससे वहां के युवाओं और महिलाओं के हालात में सुधार भी आए। इन कोशिशों से भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच एक खास मित्रता की भावना बनी। अब वहां पर बदले हालात की वजह से वहां शुरू हुई मानवीय त्रासदी और भुखमरी से पूरा भारत दुखी है।
नई दिल्ली। पीएम मोदी ने मंगलवार को जी 20 शिखर सम्मेलन में वर्चुअली भाग लिया। मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए दुनिया को आगाह किया। अपनी बात रखते हुए मोदी ने कहा कि दुनिया को इस बात का ध्यान रखना होगा कि अफगानिस्तान कट्टरपंथ और आतंकवाद का जरिया न बने।
इसके लिए दुनिया को साझा प्रयास करने होंगे। इस दौरान मोदी ने अफगानिस्तान के विकास में भारत द्वारा कराए गए कार्यें का भी जिक्र किया। मोदी ने बताया कि किस तरह पिछले दो दशकों से अफगानिस्तान के विकास में भारत ने अहम भूमिका निभाई। अफगानिस्तान में सामाजिक-आर्थिक दशा को बदलने के लिए 500 से अधिक प्रोजेक्ट को भारत की मदद से पूरा किया गया।
अफगानिस्तान के हालात से भारत दुखी
मोदी ने अपनी बता रखते हुए कहा कि हमारे प्रयास से वहां कई परियोजना को पूरा किया गया,इससे वहां के युवाओं और महिलाओं के हालात में सुधार भी आए। इन कोशिशों से भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच एक खास मित्रता की भावना बनी।
अब वहां पर बदले हालात की वजह से वहां शुरू हुई मानवीय त्रासदी और भुखमरी से पूरा भारत दुखी है। पीएम ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे इस संकट में अफगानिस्तान के जरूरतमंद लोगों के साथ खड़े हों।
इटली ने बुलाई थी मीटिंग
आपकों बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी जी-20 देशों की मीटिंग को वर्चुअल तरीके से संबोधित कर रहे थे। देश के ताकतवर 20 देशों के समूह जी-20 की यह मीटिंग अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा करने के लिए ही बुलाई गई थी।
मीटिंग का आयोजन इटली की ओर से किया गया था जिसके पास समूह देशों की अभी प्रेसीडेंसी है। पीमए मोदी ने अफगानिस्तान में समावेशी प्रशासन का आह्वान किया। उन्होंने अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए समर्थन व्यक्त किया। मोदी ने अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 में निहित संदेश के लिए जी20 के नए समर्थन का आह्वान किया।
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