एक आदमी मरता है और फिर अमेरिका जलने लगता है
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एक 46 साल के नौजवान की मौत किसी देश में उथल-पुथल मचा सकती है। दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश को जला सकती है और दुनिया के सबसे शक्तिशाली प्रेसिडेंट को बंकर में छुपने को मजबूर कर सकती है।
एक 46 साल के नौजवान की मौत किसी देश में उथल-पुथल मचा सकती है। दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश को जला सकती है और दुनिया के सबसे शक्तिशाली प्रेसिडेंट को बंकर में छुपने को मजबूर कर सकती है। यदि आपके देश में ऐसा होता है तो समझिए आप वाकई एक लोकतंत्र में जी रहे हैं। वरना, अगर कोई देश अपने किसी नागरिक की मौत से उबाल नहीं खाता तो समझिए देश मर चुका है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में एक नौजवान जाॅर्ज पैरी फ्लाॅइड की मौत ने पूरे देश में उबाल ला दिया। यह युवक मिनिएपोलिस शहर में एक दुकान से कुछ सामान लेने गया था। दुकानदार ने जब उससे सामान की कीमत मांगी तो जाॅर्ज ने भुगतान का बिल मांगा तो जाॅर्ज ने एक बिल दिखाया। दुकानदार का आरोप है कि यह बिल नकली था। इसी बात पर दोनों में बहस हुई और पुलिस आ गई। एक पुलिस अधिकारी ने जाॅर्ज की गर्दन पर अपना घुटना रख उसे दबोचने की कोशिश की। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जाॅर्ज ने पुलिस से रहम की भीख मांगी लेकिन उस पुलिस अधिकारी ने नरमी नहीं दिखाई। करीब आठ मिनट 46 सेकेंड तक जाॅर्ज को यूं ही दबोचने के कारण उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मौत का कारण गर्दन में चोट लगने के कारण आया है।
इस घटना के बाद पुलिस की बर्बरता को लेकर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। बात तब और बिगड़ गई जब मामले ने श्वेत और अश्वेत का रंग ले लिया। पूरे अमेरिका में हिंसक प्रदर्शन होने लगे। कोरोना संक्रमण की चेतावनी के बाद भी लाखों लोग सड़कों पर इकट्ठा हुए और जुलूस निकाले। प्रदर्शनकारियों ने इंसाफ की मांग करते हुए प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्र्ंप के सरकारी आवास व्हाइट हाउस को घेर लिया। इसके बाद अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स को मोर्चा संभालना पड़ा लेकिन प्रदर्शन नहीं थमे। सुरक्षा के मद्देनजर एजेंसियों ने प्रेसिडेंट को एक गुप्त बंकर में शिफ्ट कर दिया। सरकार की सख्ती के बाद हिंसा तो थम गई लेकिन विरोध नहीं। इसी विरोध के बीच फ्लाइड का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इसके बाद अमेरिकी संसद में आए जाॅर्ज के छोटे भाई ने सरकार से न्याय की मांग की और कहा कि हम यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
शानदार खिलाड़ी से डकैती तक
जिस युवक जाॅर्ज पैरी फ्लाॅइड को लेकर अमेरिका ने इतनी बड़ी हिंसा देखी उसका जीवन भी कई उतार चढ़ावों से भरा रहा है। नाॅर्थ कैरोलिना के फाइटविले में जन्मे जाॅर्ज का स्कूली जीवन एक बेहतरीन खिलाड़ी का रहा ह। खेल के एक शानदार करियर के बीच उसका नाम अपराध की दुनिया से जुड़ता है। 20 साल की उम्र में उसे मादक पदार्थ रखने, डकैती जैसे अपराधों के लिए करीब 4-5 साल जेल में गुजारने पड़ते हैं। यहां से छूटने के बाद वह एक मिनिएपोलिस शहर में आकर वाहन चालक की नौकरी करता है। इसी के साथ 6 फीट 4 इंच लंबे युवक को एक बाउंसर के रूप में भी नौकरी मिल जाती है। वर्तमान कोरोना महामारी के कारण उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है। इसी बीच हुई इस घटना में उसकी मौत हो जाती है।
श्वेत-अश्वेत रंग का असर
यू तो पुलिस हिरासत में किसी भी युवक की मौत चाहे वह संगीन अपराधी ही क्यों न हो, एक बड़ा सवाल है लेकिन अमेरिका जैसे देश में यह बात और बड़ी हो जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने नस्लवाद को लेकर एक लंबा संघर्ष झेला है। अब्राहम लिंकन, मार्टिन लूथर किंग और बराक ओबामा तक सभी अमेरिका में एक संघर्ष के नायक बनकर उभरे हैं। जाॅर्ज एक अश्वेत रंग का नागरिक था और उसे मारने वाला पुलिस अधिकारी श्वेत। पुलिस हिरासत में युवक की मौत से ज्यादा इस मुद्दे ने यह रंग ले लिया। इसके बाद विरोध प्रदर्शन और हिंसक झड़पों का दौर शुरू हुआ।
विरोध का प्रतिकूल पक्ष
जाॅर्ज फ्लाॅइड की मौत को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन का एक बुरा पक्ष ये रहा कि प्रदर्शनकारियों ने अपने विरोध प्रदर्शन के दौरान अमेरिका के कई महापुरूषों और लोकतं़त्र की बहाली के लिए लड़ने बाले नायकों की मूर्तियों के साथ अभद्रता की। यहां तक कि महात्मा गांधी की मूर्ति को भी प्रदर्शनकारियों ने नहीं बख्शा। गांधी ने इस नस्लवाद के खिलाफ एक लंबी लड़ाई लड़ी थी। ऐसे में बापू की मूर्ति पर हमले से ये प्रदर्शन प्रतिकूल हो जाते हैं। अमेरिकी सरकार का कहना है कि आगामी प्रेसिडेंट इलेक्शन को लेकर ये प्रदर्शन विरोधियों की साजिश हैं लेकिन फिर भी एक युवक की मौत पर देश का यूं सड़कों पर आना अमेरिका में लोकतंत्र की जीवंतता का प्रमाण देता है।