अलविदा जनरल बिपिन रावत: इस तरह सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़कर हासिल किया सेना का सबसे बड़ा पद
1 सितंबर 2016 को सेना के उप-प्रमुख का पद संभाला और 31 दिसंबर 2016 को सेना चीफ का पद पर काबिज हुए, उनकी कार्य कुशलता और बॉर्डर इलाकों में तजुर्बे की दक्षता को देखते हुए भारत सरकार ने जनरल रावत को 1 जनवरी 2020 तीनों सेना का प्रमुख यानी चीफ डिफेन्स ऑफ़ स्टाफ (सीडीएस) बनाया।
नई दिल्ली। देश के पहले चीफ डिफेंस ऑफ स्टाफ विपिन रावत का बुधवार को हुई एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई, उनके साथ उनकी पत्नी के साथ कुल 14 लोग सफर कर रहे थे। जिनमें से 13 लोगों के मौत की पुष्टि हो चुकी है, 14वें सख्स की भी हालत गंभीर बताई जा रहे है।
देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौरी गढ़वाल जिले में हुआ था। बचपन से उनका सेना में जाकर देश सेवा करने का सपना था, उन्होंने अपने सपने को पूरा किया और देश सेवा करते हुए बुधवार को एक हादसे में दुनिया को अलविदा कह दिया।
अगर उनके कॅरियर पर नजर डाले तो शुरू सेना में उनकी शुरूआत काफी शानदार रही है। फ़ौज में रहने के लम्बे समय के दौरान जनरल रावत को सेना के प्रमुख सम्मानों से नवाजा जा चुका है। जनरल रावत पहली बार मिजोरम में 16 दिसंबर 1978 को 11वीं गोरखा रायफल की 5वीं बटालियन में कमीशन पर शामिल हुए थे।
पिता भी सेना में थे
जनरल बिपिन रावत के पिता भी इस यूनिट का कभी हिस्सा थे, पिता का वर्षों पुराना तजुर्बा जनरल विपिन रावत को विरासत में मिला जो कि आगे जंग में काम आया। भारत-चीन युद्ध के दौरान जनरल रावत ने मोर्चा संभाला। इस दौरान उन्होंने नेफा (नार्थ ईस्ट फ्रॉन्टियर एजेंसी) बटालियन की कमान संभाली, इसके अलावा उन्होंने कांगो में संयुक्त राष्ट्र की पीसकीपिंग फोर्स की भी अगुवाई की।
बिपिन रावत की पढ़ाई
जनरल बिपिन रावत की शुरुआती पढ़ाई देहरादून में, कैंब्रियन हॉल स्कूल, शिमला में सैंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में हुई। उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक उपाधि हासिल की है। उन्हें आई एमए देहरादून में इन्हें “शोर्ड ऑफ़ ऑनरश” से भी सम्मानित किया गया था। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से रक्षा एवं प्रबन्ध अध्ययन में एम फिल की डिग्री और मद्रास विश्वविद्यालय से स्ट्रैटेजिक और डिफेंस स्टडीज में भी एम फिल की डिग्री हासिल की। इसके अलावा जनरल विपिन रावत ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से साल 2011 में सैन्य मीडिया अध्ययन में पीएचडी किया।
सेना में बतौर अधिकारी सफर
आपकों बता दें कि 1 सितंबर 2016 को सेना के उप-प्रमुख का पद संभाला और 31 दिसंबर 2016 को सेना चीफ का पद पर काबिज हुए, उनकी कार्य कुशलता और बॉर्डर इलाकों में तजुर्बे की दक्षता को देखते हुए भारत सरकार ने जनरल रावत को 1 जनवरी 2020 तीनों सेना का प्रमुख यानी चीफ डिफेन्स ऑफ़ स्टाफ (सीडीएस) बनाया।
चीनी सेना से लिया था लोहा
जनरल रावत ने साल 1962 में चीन से जंग के दौरान बहादुरी का परिचय देते हुए मैकमोहन रेखा पर गतिरोध को लेकर पहले टकराव में चीनी सेना से लोहा लिया और बहादुरी से उन्हें रोके रखा।
बतौर मेजर उन्होंने जम्मू-कश्मीर जैसे अशांत इलाके में शांति कायम करने के लिए एक कंपनी की कमान संभाली, जबकि उन्हें कर्नल के तौर पर जिम्मेदारी सौंपी गई।
किबुधू में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के अलावा पूर्वी सेक्टर पर पांचवीं बटालियन 11 गोरखा राइफल्स की कमान संभाली। मालूम हो कि जनरल रावत एक बार 2015 में भी हादसे का शिकार हुए थे, लेकिन समय वह मौत को चकमा देने में कामयबा रहे थे।
यह सम्मान मिला रावत को
सेना में रहते हुए उन्हें अब तक परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, युद्ध सेवा पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक से भी नवाजा गया।
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