छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर घटाने के फैसले से सरकार पीछे हटी

टीम भारत दीप |

पर्सनल प्रोविडेंट फंड यानी PPF की ब्‍याज दर भी 7.1 से कम करके 6.4 प्रतिशत वार्षिक कर दिया गया था।
पर्सनल प्रोविडेंट फंड यानी PPF की ब्‍याज दर भी 7.1 से कम करके 6.4 प्रतिशत वार्षिक कर दिया गया था।

सरकार नहीं चाहती की पांच राज्यों में चुनाव के दौरान आम लोगों का विरोध झेलना पड़े, इसलिए सरकार ने यू टर्न ले लिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को ट्विटर पर इसकी जानकारी दी। वित्त मंत्री ने बताया है कि इस घोषणा को वापस लेने के साथ पुरानी दरें ही लागू रहेंगी।

नईदिल्ली। छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर घटाने की घोषणा पर केंद्र सरकार ने एक ही दिन में यू-टर्न ले लिया है। सरकार द्वारा बुधवार को घोषित हुई इस योजना को गुरुवार को वापस ले लिया गया है।

सरकार नहीं चाहती की पांच राज्यों में चुनाव के दौरान आम लोगों का विरोध झेलना पड़े, इसलिए सरकार ने यू टर्न ले लिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को ट्विटर पर इसकी जानकारी दी। वित्त मंत्री ने बताया है कि इस घोषणा को वापस लेने के साथ पुरानी दरें ही लागू रहेंगी।

बता दें कि बुधवार को कई छोटी बचत योजनाओं और छोटी डिपॉजिट्स पर जून तिमाही के लिए ब्याज दरों को लेकर घोषणा की गई थी। इस घोषणा के तहत छोटी जमाओं पर भी वार्षिक ब्‍याज दर 4 फीसदी से घटाकर 3.5 फीसदी किया गया था।

पर्सनल प्रोविडेंट फंड यानी PPF की ब्‍याज दर भी 7.1 से कम करके 6.4 प्रतिशत वार्षिक कर दिया गया था। एक साल की अवधि के जमा पर ब्‍याज दर को 5.5% से काम करके 4.4% कर दिया गया था, वहीं सीनियर सिटीजन सेविंग स्‍कीम के तहत ब्‍याज दर 7.4% से कम करके 6.5% कम दिया गया था।

गुरुवार सुबह वित्तमंत्री के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर बताया गया कि छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें पिछली तिमाही के हिसाब से ही लागू रहेंगी और दरें घटाने का फैसला वापस ले लिया गया है।

बता दें कि छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों को वित्त मंत्रालय हर तिमाही के आधार पर जारी करता है। इससे पहले सरकार ने जनवरी-मार्च 2021 की तिमाही के लिए पीपीएफ और एनएससी सहित छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था।

सरकार को झेलना पड़ सकता था विरोध

सरकार द्वारा आम लोगों द्वारा अपने संकट के ​दिनों में जमा की जा रही छोटी बचत पर ब्याज दर घटाने का विरोध झेलना पड़ सकता था। इसलिए सरकार ने एक दिन बाद ही अपने फैसले को वापस ले लिया। वैसे भी इस समय पांच राज्या में चुनाव चल रहे है। सरकार नहीं चाहती कि आम लोग नाराज हो और विपक्ष इसे चुनाव में मुद्दा बनाएं।


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