कोरोना की वजह से अपनों को खो चुके बच्चों की प्रदेश सरकार करेगी देखभाल
प्रमुख सचिव द्वारा इस संबंध पूरी जानकारी 15 तक देने को कहा है। इसके साथ ही राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी सूचनाओं की एक प्रति भेजी जाए। जारी आदेश में कहा गया है कि इस तरह के बच्चों का डाटा इकत्र करने के लिए मोहल्ला निगरानी समिति या ग्राम निगरानी समितियों का प्रयोग किया जाए।
लखनऊ। प्रदेश में कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से तबाही मचा रहा है। कोरोना की वजह से कई परिवारों में केवल बच्चे ही बचे है। ऐसे बच्चों की देखरेख के लिए प्रदेश सरकार आग आई है। कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों को अब आश्रय गृहों में रखा जाएगा।
गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके आदेश जारी कर दिए। प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास वी हेकाली झिमोमी ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिए कि वे जिलों में इस तरह के बच्चों को चिह्नित कर तत्काल इसकी सूचना सरकार को दें ताकि इन बच्चों के रहने का प्रबंध किया जा सके।
प्रमुख सचिव द्वारा इस संबंध पूरी जानकारी 15 तक देने को कहा है। इसके साथ ही राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी सूचनाओं की एक प्रति भेजी जाए। जारी आदेश में कहा गया है कि इस तरह के बच्चों का डाटा इकत्र करने के लिए मोहल्ला निगरानी समिति या ग्राम निगरानी समितियों का प्रयोग किया जाए।
शहरी इलाकों में मोहल्ला निगरानी समितियां गठित हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम प्रधानों की अध्यक्षता में ग्राम निगरानी समितियां काम कर रही हैं। इनमें आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता भी हैं। इन लोगों का इस्तेमाल करके आंकड़े जुटाए जाएं।
इसके अलावा चाइल्ड लाइन से भी इस तरह के बच्चों का आंकड़ा जुटाने के लिए कहा गया है। बच्चों के चिह्नित करने के बाद 24 घंटे के भीतर जिला प्रोबेशन अधिकारी के माध्यम से बाल कल्याण समिति को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रस्तुत किया जाए। इसके बाद इन्हें आश्रय गृहों में रहने की व्यवस्था की जाए।
हेल्पलाइन नंबर भी जारी
ऐसे बच्चों की जानकारी जुटाने के लिए जनसामान्य की भी मदद लेने के उद्देश्य से इसके हेल्पलाइन नंबर, 011-23478250 जारी किया गया है। इस नंबर पर ऐसे बच्चों के बारे में जानकारी दी जा सकती है। इसके साथ ही ऐसे बच्चों के बारे में चाइल्ड लाइन 1098 या महिला हेल्पलाइन 181 पर भी जानकारी दे सकते हैं।
प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास वी हेकाली झिमोमी ने गुरुवार को सभी चाइल्ड लाइन सहयोगियों के साथ बैठक कर कहा कि निराश्रित बच्चों को रखने के लिए यदि बाल गृह की उपलब्धता नहीं हो पा रही है तो दस साल से कम उम्र के बच्चों को वन स्टॉप सेंटरों पर बालिकाओं के साथ रखा जा सकता है।
हालांकि वन स्टॉप सेंटर में रखने से पहले इनकी कोविड जांच जरूर कराई जाए। वहीं, दस साल से अधिक उम्र के बच्चों को जिलों में चल रहे क्वारंटीन सेंटरों में रखा जाए। जिला प्रोबेशन अधिकारी क्वारंटीन सेंटरों में सुरक्षा, खानपान, देखभाल, इलाज की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।
बाल गृह में रखी जाएं एंटीजन किट
प्रत्येक बाल गृहों में एंटीजन किट रखने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग से समन्वय करने के लिए कहा गया है। यह इसलिए जरूरी है ताकि नए मिले बच्चों को रखने से पहले उनका टेस्ट करवाया जा सके।
प्रमुख सचिव ने कहा कि मौजूदा समय में बंद पड़े सरकारी छात्रावासों को बच्चों और महिलाओं के लिए क्वारंटीन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।ऐसे बच्चों को आसरा मिलने से उन्हें काफी राहत मिलेगी।