हेलीकॉप्टर हादसा: आज आगरा पहुंचेगा शहीद पृथ्वी सिंह का पार्थिव शरीर,दी जाएगी अंतिम विदाई

टीम भारत दीप |

दिल्ली एयरपोर्ट पर श्रद्धाजंलि देने के लिए रखा शहीदों का शव।
दिल्ली एयरपोर्ट पर श्रद्धाजंलि देने के लिए रखा शहीदों का शव।

विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान आगरा के सरन नगर (दयालबाग) के रहने वाले थे। देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ वह भी बुधवार को हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हो गए थे। उनके निधन से सरन नगर वासियों के आंख नम है, गली में मातम छाया हुआ है।

आगरा। कुन्नूर हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए आगरा के लाल विंग कमांडर शहीद पृथ्वी सिंह चौहान का पार्थिव शरीर आज आगरा लाया जाएगा। जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह ने बताया कि राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

परिजनों के मुताबिक पोइया घाट स्थित श्मशान घाट पर शहीद पृथ्वी सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा। शहीद के शव को लेने के लिए परिजन दिल्ली रवाना हो गए हैं। आपकों बता दें कि विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान आगरा के सरन नगर (दयालबाग) के रहने वाले थे।

देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ वह भी बुधवार को हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हो गए थे। उनके निधन से सरन नगर वासियों के आंख नम है, गली में मातम छाया हुआ है। उनके निधन की खबर मिलने के बाद से ही उनके घर सांत्वना देने वाले के लिए लोग पहुंच रहे हैं। 

दिन भर लगी घर के बाहर भीड़

सरन नगर कॉलोनी का होनहार पृथ्वी  सिंह भले ही अब इस दुनिया में नहीं हो,लेकिन पड़ोसी उनकी सादगी और बहादुरी के किस्से साझा कर रहे थे। रुंधे गले से रिश्तेदार उसकी बचपन की यादों में बार-बार खो जाते थे। बृहस्पतिवार को दिनभर घर पर लोगों का आना-जाना लगा रहा। लोगों ने शहीद की तस्वीर के आगे पुष्प अर्पित किए। 

जांबाज विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान की सादगी और जज्बे का हर कोई कायल था। वह जब भी घर आते थे तो पड़ोसियों और रिश्तेदारों से जरूर मिलते थे। उनके करीबी रिश्तेदारी पुष्पेंद्र जादौन ने बताया कि वह बचपन से ही साहसी थे। बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखते थे, लेकिन सपना फौजी बनने का था। यही कारण रहा कि उन्होंने साल 1990 में आर्मी स्कूल ज्वॉइन कर लिया था। 

पृथ्वी सिंह चौहान अपनी बहनों से कहते थे कि वह एक दिन परिवार का नाम रोशन करेंगे। वह एक कुशल पायलट होने के साथ ही उत्साही व्यक्ति भी थे, जो दूसरे लोगों को भी जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते थे। 

सरन नगर निवासी प्रवीण सिंह  ने बताया कि पृथ्वी सिंह जब भी छुट्टी पर आते थे तो उनकी मुलाकात होती थी। हमेशा ही वे फौजियों की जाबांजी की चर्चा करते थे। तमाम किस्से सुनाते थे। उनके पिता सुरेंद्र सिंह बेटे के गम में गुमसुम हो गए हैं। मां सुशीला बार-बार पृथ्वी को याद कर रही थीं। उनकी बातों को याद कर रही थीं।  

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