जेएनयू में प्रोफेसर भर्ती के विज्ञापन के कुछ हिस्सों को हाईकोर्ट ने किया रद्द
विश्वविद्यालय के कुछ अध्यापकों ने नियुक्ति की प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी, इसके बाद कोर्ट ने यह आदेश देते हुए विश्वविद्यालय को आदेश दिया कि वह मुद्दे पर दोबारा गौर करें और दोनों पदों के संबंध में रोस्टर प्वाइंट तय करें।
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की ओर से प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के दो पदों के लिए निकाले गए दो विज्ञापनों के कुछ हिस्सों को दिल्ली उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है।
विश्वविद्यालय के कुछ अध्यापकों ने नियुक्ति की प्रक्रिया में अनियमितता का आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी, इसके बाद कोर्ट ने यह आदेश देते हुए विश्वविद्यालय को आदेश दिया कि वह मुद्दे पर दोबारा गौर करे और दोनों पदों के संबंध में रोस्टर प्वाइंट तय करें।
जेएनयू में नियुक्ति प्रक्रिया से प्रभावित हुए दो असिस्टेंट प्रोफेसरों और दो अन्य प्रोफेसरों ने प्रकिया की वैधता पर सवाल उठाते हुए अदालत में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि वह रिक्तियों के लिए आरक्षित श्रेणी में आवेदन करना चाहते थे लेकिन विश्वविद्यालय ने एक पद को अनुसूचित जाति से अनुसूचित जनजाति में बदल दिया था और दूसरे पद को अनारक्षित श्रेणी में परिवर्तित कर दिया था।
याचिकाकर्ताओं में दो प्रोफेसर हैं जो प्रकिया से प्रभावित नहीं हुए हैं फिर भी उन्होंने कथित तौर पर हुई अनियमितता को सामने लाने के उद्देश्य से याचिका में खुद को पक्ष बनाया है।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं ने विज्ञापनों में उल्लिखित केवल दो पदों के लिए ही याचिका दायर की है, इसलिए पूरे विज्ञापनों को रद करने का कोई कारण नहीं है।
कोर्ट ने कहा है कि विश्वविद्यालय को ताजा नियुक्ति प्रकिया शुरू करनी चाहिए। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद उक्त दोनों पदों के लिए विज्ञापन निकालना चाहिए।