‘माल मुफ्त को खाय खाय के लाल परे रमजानी, सोने की हवे गयी चिरैया गामन की परधानी‘
कवि चन्द्रप्रकाश रहस्य ने कहा ‘यमराज का है वो दंड है सभी में ज्योति अखंड‘। प्रशांत भदौरिया ने कहा कि ‘क्या उसकी आंखों में तूने झांका है जो अब तक कहती तू तो पागल है नन्हा सा है‘।
मैनपुरी। कवि और साहित्यकारों के सम्मान एवं स्मरण की शृंखला में प्रत्येक माह की 30 तारीख को मैनपुरी के होली पब्लिक स्कूल में आयोजित काव्य गोष्ठी के 97वें माह का आयोजन रविवार को हुआ। फरवरी माह में 28 तारीख को गोष्ठी आयोजित की गई। यह काव्यगोष्ठी मैनपुरी के कवि उदयपाल सिंह आरित्रक के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित की गई।
कवि एवं साहित्यकार श्रीकृष्ण मिश्र ने बताया कि उदय आरित्रक का जन्म 1917 में हुआ था। आप वायुसेना में कार्यरत थे। उन्होंने कविता, उपन्यास कहानी व वैचारिक निबंध लिखे। आपने कई पुस्तकें लिखी थीं। श्रीकृष्ण मिश्र ने अपनी काव्य रचना जीटी रोड की आत्मकथा में पढ़ा- ‘मैं रोती सकुचाती होनी त्रात्र अमित कहानी, पेशावर से कलकत्ता तक रही न हिन्दुस्तानी‘।
गोष्ठी में जिले के प्रमुख कवियों ने भाग लिया। कवि जयप्रकाश मिश्र ने कहा कि एक नौजवान ने अधेड़ महिला से माता जी कहा था, माताजी के संबोधन ने मानो लगा दिया हो तड़का। कवि यश कुमार मिश्रा ने पढ़ा कि ‘रक्त का कतरा हमारा कर रहा तुमसे मनौती, बाग मिल जुलकर सजाना‘।
कवि चन्द्रप्रकाश रहस्य ने कहा ‘यमराज का है वो दंड है सभी में ज्योति अखंड‘। प्रशांत भदौरिया ने कहा कि ‘क्या उसकी आंखों में तूने झांका है जो अब तक कहती तू तो पागल है नन्हा सा है‘। सतीश दुबे एडवोकेट ने कहा ‘खता मेरी क्या है बता दीजिएगा फिर जो मन में आए सजा दीजिएगा‘।
उपेन्द्र भोला ने कहा कि ‘फूल सी जिन्दगी थी ये खुद ही खार कर बैठे, गलतफहमी के नतीजे में अखियाँ चार कर बैठे‘। शिव सिंह निसंकोच ने कहा कि जो भी आते यहां चुपचाप चले जाते हैं। गैर को छोड़िए अपनों से छले जाते हैं। संकल्प दुबे ने पढ़ा कि ‘सब सिस्टम है भाई सिस्टम है, मै भी सिस्टम तू भी सिस्टम, पूरी दुनिया ही सिस्टम है।‘
प्रबोध भदौरिया ने कहा कि- ‘बोले प्रबंधक जी सैलरी मिलेगी कम, बच्चों को रोज तुम जी भर के पीटना‘। बदन सिंह मस्ताना ‘माल मुफ्त को खाय खाय के लाल परे रमजानी, सोने की हवे गयी चिरैया गामन की परधानी‘। कवि वासुदेव मिश्र लालबत्ती, यश भारती से सम्मानित कवि दीन मोहम्मद दीन, राजकिशोर प्रजापति, श्रीचन्द्र वर्मा भोगांव, ओम प्रकाश वर्मा भोगांव, बिजेन्द्र सरल, नबाव सिंह राजपूत, श्यामपाल सिंह चैहान, रामप्रकाश पाण्डेय आदि ने भी काव्यपाठ किया।
अध्यक्षता बासुदेव मिश्र लालबत्ती कवि ने की। मुख्य अतिथि डॉ. दीन मोहम्मद दीन थे। विशिष्ट अतिथि बदन सिंह मस्ताना भोगांव रहे। संचालन विनोद माहेश्वरी ने किया। अभय शर्मा, डॉ. अनुराग दुबे, ज्ञानेन्द्र दीक्षित, उमेश चंद्र दुबे, विद्या सागर शर्मा, मौजीराम, आयुष सक्सेना, श्रीकृष्ण मौर्य आदि मौजूद रहे। अंत में संयोजक विनोद माहेश्वरी ने सभी को धन्यवाद दिया।