निजीकरण की खबरों के बीच बैंककर्मियों को एक और झटका, केवल 15 प्रतिशत ही बढ़ेगा वेतन
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यह वृद्धि मूल वेतन में की जाएगी। इसके साथ ही बैंक के अधिकारी और कर्मचारियों के बीच वृद्धि का निर्धारण अलग-अलग किया जाएगा जो कि 31 मार्च 2017 के वेतन के आधार पर होगा।
व्यापार डेस्क। देश के सरकारी क्षेत्र के बैंकों में काम कर रहे ऑफिसर और सहयोगी स्टाफ को एक और झटका लगा है। तीन साल से लंबित वेतन वृद्धि की मांग पर भारतीय बैंक एसोसिएशन और वर्कमैन यूनियन के बीच बातचीत के बाद केवल 15 प्रतिशत वेतन वृद्धि पर ही सहमति बन पाई है। ये वृद्धि उनके लिए न के बराबर है। इसके अलावा अब निजी बैंकों की तरह सरकारी बैंकों में भी काम के आधार पर ही वेतन के एक हिस्से का लाभ मिलेगा।
मंगलवार को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में आईबीए और वर्कमैन यूनियन एंड ऑफिसर्स एसोसिएशन के बीच बैठक हुई। इसमें तीन साल से लंबित वेतन वृद्धि सहित अन्य प्रमुख मांगों पर चर्चा की गई। दोनों पक्षों की ओर से इस बात पर सहमति बनी कि देश के वर्तमान हालातों को देखते हुए एक मजबूत बैंकिग सिस्टम की आवश्यकता है, जो कि विपरीत हालातों में भी ग्राहकों व अन्य हिस्सेधारकों की आवश्यकता के अनुरूप अपनी प्रोडक्टिविटी, एफिसिएंशी और रेस्पोसिंवनेस को बनाए रख सके।
ऐसे में सहमति बनी कि सरकारी क्षेत्र के बैंकों के कर्मियों को बढ़ा हुआ वेतन 1 नवंबर 2017 से मिलेगा और यह वृद्धि 15 प्रतिशत होगी। यह वृद्धि मूल वेतन में की जाएगी। इसके साथ ही बैंक के अधिकारी और कर्मचारियों के बीच वृद्धि का निर्धारण अलग-अलग किया जाएगा जो कि 31 मार्च 2017 के वेतन के आधार पर होगा।
इसके अलावा अब से बैंककर्मियों को प्राइवेट बैंकों की तरह परफाॅरमेंस आधारित वृद्धि का लाभ मिलेगा। यानी यदि बैंक फायदे में रहेगा तो बैंक के फायदे के अनुपात में ही कर्मचारियों के वेतन का एक हिस्सा तय होगा। उसी आधार पर वेतन का लाभ मिलेगा। इसमें भी बैंक का कुल मुनाफा यदि 5 प्रतिशत से कम रहता है तो कर्मचारियों को कोई लाभ नहीं मिलेगा।
इसके अलावा कर्मचारियों के मिलने वाले एनपीएस का हिस्सा 10 से बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया है, जिसकी घोषणा केंद्र सरकार सभी केंद्रीय कर्मियों के लिए पहले ही कर चुकी हैं। सबसे बढ़ा मुद्दा रिटायर्ड बैंककर्मियों की पेंशन को लेकर है उन्हें लगभग 30 प्रतिशत का लाभ मिलने वाला है, जबकि मौजूदा बैंककर्मियों के लिए यह लाभ केवल 2.5 प्रतिशत ही होगा। बैंक के कार्य दिवस को 5 दिन करने के मुद्दे पर भी कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।
न के बराबर है वृद्धि
बिजनेस इनसाइडर इंडिया में 16 मार्च 2020 को छपी एक रिपोर्ट में केनरा बैंक एसोसिएशन के महासचिव जीबी मनीरामन ने 15 प्रतिशत वृद्धि को न के बराबर बताया था। उन्होंने कहा था कि यह वृद्धि कुल वेतन में केवल 900 रूपये से 1100 रूपये की होगी।
जिस 15 प्रतिशत वृद्धि की बात मूल वेतन में की जा रही है, उससे ज्यादा लाभ तो बैंककर्मियों को डीए के जरिए पहले से मिल रहा है। इसके साथ ही उन्होंने यूनियन को आईबीए से वार्ता के दौरान फाइनेंशियल और नाॅन फाइनेंशियल मैटर को अलग रखने को भी कहा था।
आईबीए को अथाॅरिटी नहीं
बैंककर्मियों में लगातार वार्ता के लिए आईबीए को आगे किए जाने पर भी गुस्सा है। उनका कहना है कि आईबीए मद्रास हाईकोर्ट में कह चुकी है कि वह कोई अथाॅरिटी नहीं है फिर भी सरकार हर बार मध्यस्थता के लिए आईबीए को आगे कर देती है।
इसके अलावा बैंककर्मियों में यूनियन को लेकर भी रोष है। ट्विटर पर कई बैंककर्मियों ने इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर की यूनियन में बैठे अधिकतर नेता रिटायर्ड बैंककर्मी हैं। ऐसे में वे नौकरीपेशा कर्मियों के फायदे की बात करने के बजाय अपने फायदे का सौदा करते हैं।
परफाॅरमेंस आधारित वेज मिनी प्राइवेटाइजेशन
भारत दीप से बातचीत में कई बैंककर्मियों ने परफाॅरमेंस आधारित वेतन लाभ को प्राइवेटाइजेशन की दिशा में एक और कदम बताया। उन्होंने कहा कि अब हमें पहली लड़ाई प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ लड़नी चाहिए। उन्होंने यूनियन में भी बदलाव की मांग करते हुए रिटायर्ड कर्मियों को हटाने की मांग की।