क्रोध पर हो नियंत्रण तो मां लक्ष्मी की बरसती है अपार कृपा

टीम भारत दीप |

जो क्रोध करता है लक्ष्मीजी उससे रुष्ट हो जाती हैं।
जो क्रोध करता है लक्ष्मीजी उससे रुष्ट हो जाती हैं।

निर्णय क्षमता शून्य हो जाती है और पास आती सफलता दूर हो जाती है। एक पौराणिक कथा है। जिसके अनुसार भृगुऋिषी ने क्रोध में भगवान विष्णु की छाती पर पैर से प्रहार किया था। इस पर भगवान विष्णु ने विनम्रता से ऋषिवर से पूछा, ‘ऋषिवर आपके पैर में कहीं चोट या मोच तो नहीं आई। इस दृश्य को महालक्ष्मी जी देख रहीं थीं।

लखनऊ। गुस्सा यानि क्रोध सफलता की राह में बड़ा बाधक बनता है। इसके कारण निर्णय क्षमता शून्य हो जाती है और पास आती सफलता दूर हो जाती है। एक पौराणिक कथा है। जिसके अनुसार भृगुऋिषी ने क्रोध में भगवान विष्णु की छाती पर पैर से प्रहार किया था। इस पर भगवान विष्णु ने विनम्रता से ऋषिवर से पूछा, ‘ऋषिवर आपके पैर में कहीं चोट या मोच तो नहीं आई।

इस दृश्य को महालक्ष्मी जी देख रहीं थीं। उन्होंने क्रोधातुर ऋषि से कह दिया कि अब वे उन पर कभी कृपा नहीं बरसाएंगी। इस कथा से स्पष्ट समझ आता है कि जो व्यक्ति अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाता है। अतिरेक में गलती कर बैठता है। जो क्रोध करता है लक्ष्मीजी उससे रुष्ट हो जाती हैं। मां लक्ष्मी धन-संपदा की मालिक है। हम सभी को मां लक्ष्मी जी की कृपा चाहिए।

इसलिए सहज जीवन में छोटी-बड़ी बातों पर क्रोध करना और अपनों से अभद्रता करने से बचना चाहिए। करीबियों, मित्रों और रिश्तेदारों से विन्रमता के साथ व्यवहार करना चाहिए। समाज के सभी वर्ग के लोगों को आदरभाव से देखना चाहिए। क्रोध और अहंकार, ये विकार हमें लक्ष्मी की कृपा से दूर कर देते हैं। कहा भी गया है कि क्रोध दोधारी तलवार है।

व्यक्ति और उससे प्रभावित होने वाले सभी लोगों को नुकसान पहुंचाता है। सुख, सामन्जस्य और शांति क्रोध से नष्ट हो जाते हैं। सबकुछ होते हुए भी व्यक्ति सुखमय जीवन का आनंद नहीं ले पाता है। साथ ही सदा अपयश भी पाता है। कहा जाता है कि क्रोध में व्यक्ति निर्णय क्षमता खो बैठता है।

उसे इस बात का आभास नहीं रहता कि वह जो कर रहा है। वह सही है अथवा गलत। वहीं ऐसे में भावावेश में सफलता का प्रतिशत नगण्य हो जाता है। अतः सफलता के लिए यह जरूरी है कि क्रोध को अपने पास फटकने न दिया जाए।


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