आईआईटी कानपुर का " विभ्रम "करेगा सेना की मदद, आपातकाल में भी आएगा काम
विभ्रम के जरिए अब देश के दुश्मनों पर नजर रखने के साथ ही आपदा के समय किसी की भी जान बचाना आसान होगा। यह 120 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से 11.500 फीट की ऊंचाई पर जा सकता है। इतना ही नहीं इसकी क्षमता लगातार चार घंटे तक उड़ने की है।
कानपुर। आईआईटी कानपुर की इंक्यूबेटेड कंपनी एंड्योर एयर ने लाइटवेट हेलीकॉप्टर विभ्रम का एडवांस वर्जन तैयार किया है। इससे सेना के लिए आपातकाल में उपयोग करने के लिए ही तैयार किया गया है।
इस समय सेना इसकी खूबियों को परख रहा है। यह पेट्रोल और बैट्री दोनों से चल सकता है। हालांकि अभी यह पेट्रोल से चल रहा है। आगे इसका बैट्री वर्जन लाने की तैयारी चल रही है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका कम वजन यह केवल सात किग्रा है।
इसके जरिए अब देश के दुश्मनों पर नजर रखने के साथ ही आपदा के समय किसी की भी जान बचाना आसान होगा। यह 120 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से 11.500 फीट की ऊंचाई पर जा सकता है। इतना ही नहीं इसकी क्षमता लगातार चार घंटे तक उड़ने की है।
5 किग्रा वजन उठाने में सक्षम
विभ्रम के साथ पांच किग्रा तक भारी वस्तु को 50 किमी तक ले जा सकते हैं। सेना और राष्ट्रीय आपदा राहत बल एनडीआरएफ की ओर से हेलीकॉप्टर पर ट्रायल चल रहा है। विभ्रम के उड़ान भरने और उतरने का तरीका बिल्कुल बड़े हेलीकॉप्टर की तरह है।
करीब ढाई किलो वजन के बराबर इसमें पेट्रोल भरा जाता है। एंड्योर एयर के निदेशक प्रो.अभिषेक ने बताया विभ्रम को सेना और एनडीआरएफ ने काफी पसंद किया है। इसे और अपग्रेड किया जा रहा है।
देश के दुश्मनों को पकड़ेगा
आईआईटी कानपुर ने ऐसा हल्का हेलीकॉप्टर बनाया है, जो देश के दुश्मनों को पकड़ेगा और सरेंडर करवा कर जमीन पर भी उतारेगा। आईआईटी के स्टार्टअप इंड्योरएयर हेलीकॉप्टर की मदद से यह संभव होगा।
ऐसे किसी भी कठिन मिशन को यह हेलीकॉप्टर आसानी से पूरा कर लेगा। यह हेलीकॉप्टर सेना को ध्यान में रखकर बनाया गया है। हेलीकॉप्टर का प्रयोग मेडिकल किट पहुंचाने और रेस्क्यू में भी किया जा सकता है। आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिकअभिषेक की देखरेख में इसे तैयार किया गया है।
चकमा देने में माहिर
यह स्टील्थ तकनीक रडार या अन्य उपकरणों की पकड़ में न आने वाली तकनीकि पर आधारित है। यह चकमा देने में माहिर है। दुर्गम स्थानों पर पहुंचा सकते हैैं कोरोना की वैक्सीन, हल्के हेलीकॉप्टर का ट्रायल पहाड़ी और दूरदराज के क्षेत्रों में कोरोना वैक्सीन पहुंचाने के लिए किया जा सकता है।
इस काम में सेना की मदद ली जाएगी। अगर यह सफल रहता है तो स्वास्थ्य विभाग को दिया जा सकता है।