महंगाई की मार: आसमान पर पहुंचा खाद्य तेलों का भाव, बीस दिन में ही इतना बढ़ गया दाम
यदि युद्ध लंब चला तो संकट बढ़ेगा। फिलहाल पंद्रह दिनों में तेल के भाव में 30 से 35 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुके हैं। इसका प्रमुख कहीं न कहीं जमाखोरी भी है। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर युद्ध के प्रभाव के कारण मुद्रास्फीति और महंगाई प्रभाव खाद्य तेलों के दामों पर पड़ रहा है।
लखनऊ। देश में खाद्य तेलों के दाम में तेजी से उछाल दर्ज हो रहा है क्योंकि रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे युद्ध की वजह से यह संकट पैदा हुआ है। दरअसल रूस व यूक्रेन सनफ्लावर, सोया व पाम आयल के बड़े निर्यातक देश हैं युद्ध शुरू हुए अभी 13 दिन हुए हैं।
कारोबारियों के अनुसार तेल कंपनियों के पास तीन महीने तक का स्टाक रहता है। ऐसे में तेल के भाव आसमान छूने का कारण कालाबाजारी व मुनाफाखोरी है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते आगामी दिनों में कारोबार पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए कालाबाजारी सक्रिय हो गए हैं। आयात बंद दिखाकर मुनाफाखोरों ने सनफ्लावर और पाम आयल के दाम बढ़ा दिए हैं।
युद्ध लंबा चला तो बढ़ेगा संकट
आपकों बता दें कि तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, यदि युद्ध लंब चला तो संकट बढ़ेगा। फिलहाल पंद्रह दिनों में तेल के भाव में 30 से 35 रुपये प्रति लीटर बढ़ चुके हैं। इसका प्रमुख कहीं न कहीं जमाखोरी भी है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर युद्ध के प्रभाव के कारण मुद्रास्फीति और महंगाई प्रभाव खाद्य तेलों के दामों पर पड़ रहा है। इसके अलावा स्थानीय स्तर जमाखोरी के कारण भी तेल के भाव आसमान छू रहे हैं। इसको लेकर प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
पीएम मोदी कह चुके नहीं होगी कमी
मौजूदा समय में बाजार में पाम आयल, रिफाइंड व सोयाबीन रिफाइंड आदि खाद्य तेलों की कोई कमी नहीं है। यूक्रेन-रसिया युद्ध के बाद एक बैठक में प्रधानमंत्री भी कह चुके हैं कि देश में खाद्य तेल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
फैक्ट्री के स्तर से ही आपूर्ति न सिर्फ कम है बल्कि मूल्य वृद्धि भी वहीं से हो रही है। जब नया माल विदेशों से आयात नहीं हुआ है तो फिर अचानक दाम वृद्धि का सिर्फ एक ही कारण हो सकता है जमाखोरी व मुनाफाखोरी ।
इस तरह बढ़े दाम
- सोयाबीन 140 से 170 रुपये प्रति लीटर।
- पाम आयल 120 से 152 रुपये प्रति लीटर।
- सूरजमुखी 138 से 180 रुपये प्रति लीटर।
- सरसों 168 से 175 रुपये प्रति लीटर।
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