जौनपुर: सपा के कद्दावर नेता डॉ. केपी यादव का डेंगू से निधन
केपी यादव मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव के बेहद करीबी थे। जौनपुर संसदीय सीट से सपा के प्रत्याशी रह चुके डॉ. केपी यादव 36 बार गिरफ्तार हुए और 12 बार जेल गए। डॉ. केपी यादव का जन्म धर्मापुर ब्लॉक के उतरगांवा में एक सामान्य परिवार में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा धर्मापुर जूनियर से हुई थी।
जौनपुर। जौनपुर में सपा के कद्दावर नेता और गो सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. केपी यादव का लखनऊ के मेदांता अस्पताल में इलाज के दौरान मंगलवार सुबह निधन हो गया। केपी यादव के छोटे भाई व सहायक अध्यापक चंद्र प्रकाश यादव के अनुसार, डेंगू की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।
उनका शव दोपहर करीब एक बजे जौनपुर स्थित घर लाया जाएगा।केपी यादव मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव के बेहद करीबी थे। जौनपुर संसदीय सीट से सपा के प्रत्याशी रह चुके डॉ. केपी यादव 36 बार गिरफ्तार हुए और 12 बार जेल गए।
डॉ. केपी यादव का जन्म धर्मापुर ब्लॉक के उतरगांवा में एक सामान्य परिवार में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा धर्मापुर जूनियर से हुई थी। हाईस्कूल नगर पालिका और इंटर बीआरपी कॉलेज से किए थे। गोरखपुर विश्वविधायलय से कमेस्ट्री से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। इसके बाद बीएचयू वाराणसी में अंतर विषयी शोध छात्र के रूप में सेलेक्शन हुआ था।
वह पढाई के साथ-साथ छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे। सन 1986 में मुलायम सिंह की क्रांति रथ यात्रा से ही केपी यादव समाजवादी पार्टी से पूरी तरह से जुड़ गए थे। हालांकि अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए थे। इस बीच उनका चयन सिरामिक इंजीयरिता में रिर्सच एसोसिएट में हो गया।
उनके 25 शोध पत्र अंतर राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुए और उन्होंने अधौगिक क्षेत्रों के दूषित पानी को शुद्ध करने का अविष्कार भी कई किए थे। सन 1992 में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ इलू नॉइज ने 1800 डॉलर पर महीने के वेतन पर बुलावा आया था।
जिसके लिए वे पासपोर्ट बनवाने लखनऊ जा रहे थे कि अखबारों के माध्यम से पता चला कि मुलायम सिंह को केंद्रीय कारागार वाराणसी में बंद किया गया है। इस पर उन्होंने ट्रेन को छोड़कर सीधे जेल गए थे और उनसे मुलाकात की थे, फिर उनसे मिले निर्देश के आधार पर बाहर आए और अपने साथियों के साथ कैंट स्टेशन पर श्रमजीवी ट्रेन को रोक लिए थे।
इस पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया था। 1993 में उन्हें बीएचयू से सपा युवजन सभा का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद कई प्रदेशो में पार्टी के गठन की जिम्मेदारी भी मिली। 1997 में सपा-बसपा गठबंधन टूटने के बाद मायावती ने बनारस के सीरगोवर्धन गांव की कीमती जमीन पर रविदास पार्क बनाने का फरमान जारी कर दिया।
मुलायम सिंह यादव के आदेश पर उन्होंने किसानों की लड़ाई गांव में रहकर लड़ी थी आपकों बता दें 5 जनवरी 1998 में उनके ऊपर बदमाशो ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थी। इस वारदात में केपी यादव को चार गोली लगी थीं फिर भी उनकी जान बच गई थी, लेकिन डेंगू की वजह से उनकी मौत की खबर से उनके समर्थकों को गहरा झटका लगा है।
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