दस बाई दस के कमरे में पढ़कर बन गया टॉपर, पढ़ें सफलता की कहानी
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बेटे ने सफलता हासिल कर उनका सिर फक्र से उंचा कर दिया। माता नरजिस फात्मा कहती हैं कि बेटा पढ़ाई पूरी फोकस के साथ करे इसका ख्याल वो रखती थीं बेटे की कामयाबी से वो भी बहुत गदगद नज़र आईं।
जौनपुर। कहतें अगर कोई अपनी मंज़िल तय कर ले और उस ओर शिद्दत के साथ बढ़े तो ईश्वर भी उसकी मदद करता है। आज हम आपको सीबीएसई बोर्ड एग्जाम में इंटरमीडिएट के एक ऐसे ही ही स्टूडेंट की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने ठान लिया कि उसे टॉपर बनना है तो फिर वह बन ही गया। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले के रहने वाले मोहम्मद सादिक़ रज़ा कि जिसने 10 बाई 10 के कमरे में अपनी मंज़िल का ख़ाका तैयार किया और फिर एग्ज़ाम में खुद की और माता—पिता अपेक्षा के अनुरूप सफलता हासिल की।
पिता प्राइवेट कंपनी में करते हैं जॉब
सादिक़ के पिता ख़ादिम रज़ा दिल्ली की एक कंपनी में प्राइवेट नौकरी करते हैं। उन्होंने अपने बेटे को शहर के टॉप टेन स्कूल में शुमार डॉ. रिज़वी लर्नस एकेडमी में दाखिला दिलवाया। सादिक़ शुरू से ही पढ़ने में तेज़ था, इस वजह से उसने हर कक्षा में सफलता हासिल की। अगर हाईस्कूल की बात करें तो उसे 82 फीसदी अंक मिला, जिससे वह संतुष्ट नहीं हुआ क्योंकि उसकी मंज़िल कुछ और थी।
फोकस के साथ पढ़ाई की
इंटरमीडिएट में आने के बाद पढ़ाई को और ज़्यादा फोकस किया। इसके बाद नतीजा हम सबके सामने है। सादिक़ को इंटरमीडिएट में 500 में से 479 नंबर मिला, उसकी परसेंटेज 95.8 आई। बात अगर सब्जेक्ट वाइज़ नंबरों की करें तो उसे एकाउंट्स में 94, बिजनेस में 97, इकोनामिक्स में 97, इंफॉमेर्टिक्स प्रैक्टिसेस (कंप्यूटर) में 96 और इंग्लिश में 95 अंक हासिल हुए, मतलब सभी सब्जेक्ट में 90 से ज़्यादा नंबर।
सिर्फ 4 घंटा करते थे पढ़ाई
मोहम्मद सादिक़ ने भारत दीप डॉट कॉम को बताया कि स्कूल के अलावा वह 4 घंटा पढ़ाई करते थे। सुबह में एक घंटा पढ़ते और फिर रात में शाम 7 बजे से 10 बजे तक पढ़ाई करते। उसने बताया कि आमतौर पर स्टूडेंट स्कूल के बाद भी 7 से 8 घंटे पढ़ाई करते हैं लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया। कहा कि सिर्फ 4 घंटा पढ़ाई की लेकिन पूरे फोकस के साथ। जिस सब्जेक्ट को पढ़ना शुरू किया उसमें कॉन्सेप्ट क्लीयर कर लिया। इसी का नतीजा रहा कि एग्ज़ाम में नंबर अच्छे आए। सादिक़ ने बताया कि ज़रूरी नहीं है कि 7 से 8 घंटा रोज़ पढ़ाई की जाए, ज़रूरी ये है कि फोकस के साथ पढ़ा जाए।
अगला लक्ष्य सीए बनना
सादिक़ ने कहा कि 9 क्लास से ही तय कर लिया था कि आगे चलकर चार्टेड अकाउंटेंट बनना है। इस वजह से कामर्स स्ट्रीम को चुना। इंटरमीडिएट में बेहतरीन परफॉर्मेंस के बाद सीए फाउंडेशन की तैयारी कर रहे हैं। उसने बताया कि मुबई जाकर सीए की पढ़ाई करना चाहते हैं। जब सादिक़ से पूछा गया कि आपने सीए ही क्यों बनना चाहते हैं तो उसने बताया कि मौसी के लड़के सैयद असग़र मेहदी सीए हैं उन्हीं के नक्शेक़दम पर चलकर वो भी सीए बनना चाहते हैं और अपना और माता—पिता का नाम रोशन करना चाहते हैं।
बेटे की सफलता पर गदगद हैं माता—पिता
पिता ख़ादिम रज़ा ने बताया कि उनका बेटा शुरू से ही पढ़ने में तेज़ था। इसी वजह से उसकी पढ़ाई के लिए हमनें कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि पढ़ने के लिए जो माहौल होना चाहिए उसे वो पूरी तरह से देने में हमारी आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी लेकिन 10 बाई 10 के कमरे में रहकर भी बेटे ने सफलता हासिल कर उनका सिर फक्र से उंचा कर दिया। माता नरजिस फात्मा कहती हैं कि बेटा पढ़ाई पूरी फोकस के साथ करे इसका ख्याल वो रखती थीं बेटे की कामयाबी से वो भी बहुत गदगद नज़र आईं।