जवाहर बागः सिस्टम से निराश शहीद अफसर की पत्नी न्याय के लिए पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट

टीम भारत दीप |
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रामवृक्ष यादव ने दो दिन के धरने के लिए अनुमति मांगी थी।
रामवृक्ष यादव ने दो दिन के धरने के लिए अनुमति मांगी थी।

प्रशासन ने पुलिस अफसरों पर बिना बल प्रयोग के जवाहर बाग खाली कराने का दबाव बनाया। इस पर बाग की चाहरदीवारी तोड़ने गए पुलिस की टीम पर अवैध कब्जाधारियों ने हमला बोल दिया।

मथुरा। मथुरा के जवाहर बाग में अवैध कब्जाधारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में शहीद एसपी सिटी की पत्नी ने न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शहीद की पत्नी ने शीर्ष अदालत से गुहार लगाई है कि वो सीबीआई को दो माह में जांच पूरी करने का आदेश दे, जिससे उनके पति के हत्यारों और जवाहर बाग के दोषियों पर कार्रवाई हो सके। 

बता दें कि मथुरा के राजकीय उद्यान जवाहर बाग में अवैध कब्जाधारियों ने कब्जा कर लिया था। साल 2014 में तत्कालीन सरकार से आजाद भारत विधिक विचारक संगठन के रामवृक्ष यादव ने दो दिन के धरने के लिए अनुमति मांगी थी। 

इसके बाद इस संगठन से जुड़े लोग रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में दो साल तक अवैध रूप से सरकारी जमीन को कब्जाए रहे। साल 2016 में अधिवक्ता विजय पाल सिंह तोमर की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाग को खाली कराने का आदेश मथुरा जिला प्रशासन को दिया।

आरोप है कि तब की सरकार के संरक्षण और प्रशासन की मिलीभगत के कारण हाईकोर्ट के आदेश पर  भी कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दायर की। इस पर हाईकोर्ट ने मथुरा के डीएम को कोर्ट में पेश होने को कहा, तब जाकर प्रशासन हरकत में आया। 

इस पर भी प्रशासन ने पुलिस अफसरों पर बिना बल प्रयोग के जवाहर बाग खाली कराने का दबाव बनाया। इस पर बाग की चाहरदीवारी तोड़ने गए पुलिस की टीम पर अवैध कब्जाधारियों ने हमला बोल दिया। इसमें मथुरा के तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष कुमार की मौत हो गई। इसके बाद अधिकारियों की नींद टूटी तब जाकर भारी बल प्रयोग कर जवाहर बाग को खाली कराया जा सका। इस दौरान करीब 20 लोगों की मौत हो गई थी। 

मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ा। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की एक जज के न्यायिक आयोग की मांग ठुकराते हुए, सीबीआई को जांच करने का आदेश दिया। कोर्ट ने सीबीआई को दो महीने में जांच पूरी करने का आदेश दिया था लेकिन आज 40 महीने बाद भी जांच पूरी नहीं हो सकी है। 

इस पर शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया है कि वह सीबीआई को दो माह में जांच पूरी करने का आदेश दे। अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि रामवृक्ष यादव की मौत का पुख्ता प्रमाण नहीं है। इसके लिए आरोपियों का डीएनए टेस्ट भी कराया जाए। 

डीएम-एसएसपी पर कार्रवाई की मांग
शहीद की पत्नी ने अपने पति की मौत के लिए मथुरा के तत्कालीन डीएम और एसएसपी पर भी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अफसरों के दबाव में उनके पति उन दिनों चैन से खाना भी नहीं खा पा रहे थे। अफसरों ने उनके पति पर बिना हथियार जवाहर बाग खाली कराने का दबाव बनाया। 

आपरेशन से एक दिन पहले उन्हें चंद प्रशिक्षु पुलिसकर्मियों के साथ बिना हथियार ही जवाहर बाग की दीवार गिराने भेजा गया। नतीजा कब्जाधारियों के हमले में उनके पति और एसओ संतोष कुमार की मौत हो गई।

अर्चना द्विवेदी का कहना है कि आजाद भारत संगठन के लोगों को राजनीतिक संरक्षण के कारण बचाया जा रहा है। मामले की निष्पक्षता से सीबीआई जांच होने पर इस कांड में कई नेताओं के नाम सामने आ सकते हैं। 

मुद्दा बनाकर भूली भाजपा
2016 में प्रदेश में विपक्ष में रही भारतीय जनता पार्टी ने जवाहर बाग के मुद्दे को खूब हवा दी। सरकार बनने पर जवाहर बाग का नाम शहीद मुकुल संतोष उद्यान करने और उनकी हत्या के दोषियों को सजा दिलाने का आश्वासन भी भाजपा के नेताओं ने दिया था। 

2017 में प्रदेश में दो तिहाई बहुमत से भाजपा सरकार आने के बाद भी 40 महीनों तक शहीदों के परिवार न्याय के लिए भटक रहे थे। अब जाकर शहीद की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई है।


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