अरूणाचल में भाजपा की करनी पर जदयू ने चेताया,कहा अटल धर्म का पालन नहीं हुआ
मगर अफसोस की बात है कि भाजपा ने मंत्रिमंडल में शामिल करने के बजाय अपनी पार्टी में ही हमारे विधायकों को मिला लिया। यह गठबंधन की बुनियादी भावना के भी खिलाफ है।
पटना। जनता दल यूनाटेड (जदयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने अरुणाचल प्रदेश भाजपा द्वारा उनके विधायकों को तोड़कर भाजपा में शामिल कर लेने पर भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा कि जो हुआ वह गठबंधन की राजनीति के लिए अच्छा संकेत नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि बिहार में जदयू-भाजपा गठबंधन पर अरुणाचल की घटना का कोई असर नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1967 में डॉ. लोहिया ने गठबंधन की राजनीति की शुरुआत की थी। इस गठबंधन की राजनीति तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में फली-फूली। 23 पार्टियों के गठबंधन की सरकार को उन्होंने चलाया और किसी को शिकायत का मौका नहीं दिया। उन्होंने भाजपा को चेताते हुए कहा कि अरुणाचल प्रदेश में उस अटल धर्म का भी पालन नहीं किया गया।
केसी त्यागी ने कहा कि अरुणाचल में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी जदयू थी। इस नाते भी जदयू ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से आग्रह किया था कि हमारे विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल किया जाए। मगर अफसोस की बात है कि भाजपा ने मंत्रिमंडल में शामिल करने के बजाय अपनी पार्टी में ही हमारे विधायकों को मिला लिया। यह गठबंधन की बुनियादी भावना के भी खिलाफ है।
जदयू ने अपनी यह नाराजगी और गुस्सा भाजपा नेताओं के समक्ष भी रखा है। के.सी. त्यागी ने यह भी कहा कि बिहार में 15 सालों से जदयू-भाजपा गठबंधन चल रही है। इससे भी गठबंधन का पालन सीखना चाहिए। 15 सालों में किसी भी कैबिनेट के निर्णय से किसी मंत्री को कोई शिकायत नहीं हुई। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार संख्या बल के नेता नहीं, बल्कि साख के नेता है।
नीतीश कुमार के नेतृत्व और उनके आभामंडल को संख्या बल से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता है। नीतीश कुमार की साख में तनिक भी कमी नहीं आई है। वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भी जदयू को पूर्व की भांति वोट मिले हैं। इस चुनाव में भी खासकर महिलाओं और उपेक्षित वर्ग, जिन्हें मुख्य धारा से अलग रखा जाता रहा है, उसका पूरा समर्थन एनडीए को मिला है।