जस्टिस एनवी रमना बने देश के नए मुख्य न्यायाधीश, अगस्त-2022 तक रहेगा कार्यकाल

टीम भारत दीप |
अपडेट हुआ है:

जस्टिस नुतालपति वेंकट रमना शनिवार को देश के नए मुख्य न्यायधीश बनाए गए हैं।
जस्टिस नुतालपति वेंकट रमना शनिवार को देश के नए मुख्य न्यायधीश बनाए गए हैं।

आज सुबह 11 बजे उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद की शपथ दिलाई। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू समेत सुप्रीम कोर्ट के कई जज उपस्थित मौजूद रहे। बताया गया कि अल्पभाषी और सौम्य स्वभाव के जस्टिस रमना का कार्यकाल करीब 16 माह का होगा।

नई दिल्ली। जस्टिस नुतालपति वेंकट रमना शनिवार को देश के नए मुख्य न्यायधीश बनाए गए हैं। उनका कार्यकाल 26 अगस्त, 2022 तक रहेगा। जानकारी के मुताबिक आज सुबह 11 बजे उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद की शपथ दिलाई। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू समेत सुप्रीम कोर्ट के कई जज उपस्थित मौजूद रहे।

बताया गया कि अल्पभाषी और सौम्य स्वभाव के जस्टिस रमना का कार्यकाल करीब 16 माह का होगा। बताया गया कि 27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में जन्मे जस्टिस रमना ने किशोर आयु में ही तटीय आंध्र और रायलसीमा के लोगों के अधिकारों के लिए चलाए जा रहे जय आंध्र आंदोलन में भाग लिया था।

बताया गया कि वह कॉलेज के दिनों में छात्र राजनीति से जुड़े रहे और कुछ समय तक पत्रकारिता क्षेत्र में भी रहे। बताया गया कि फरवरी 1983 में वकालत शुरू करने वाले रमना आंध्र प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल रहने के अलावा केंद्र सरकार के भी कई विभागों के वकील रह चुके हैं। वहीं 2000 में वह आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी जज नियुक्त हुए।

बताया गया कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट में अपनी नियुक्ति से पूर्व वह दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे। बताया गया कि बतौर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर उनका कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक रहेगा। इस मायने में वह करीब 16 माह तक इस अहम पद पर रहेंगे।

इन फैसलों ने बनाई थी सुर्खियां
गौरबलब है कि बीते कुछ वर्षों में जस्टिस रमना का सबसे चर्चित फैसला जम्मू.कश्मीर में इंटरनेट की बहाली को लेकर रहा है। वहीं सांसदों.विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की तेज़ सुनवाई के लिए हर राज्य में विशेष कोर्ट बनाने का आदेश देने वाली बेंच की अध्यक्षता भी उन्होंने ही की थी।

बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के कार्यालय को सूचना अधिकार कानून ;आईटीआईद्ध के दायरे में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी वह सदस्य रह चुके हैं। वहीं जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों की क्यूरेटिव याचिका खारिज की थी।

बताया गया कि इसके बाद उनकी फांसी का रास्ता साफ हुआ। वहीं 26 नवंबर 2019 को जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़णवीस सरकार को अगले दिन विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था। जिसके बाद फड़णवीस सरकार गिर गई थी। बताते चलें कि बीते एक वर्ष से सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ही सुनवाई हो रही है।

इस व्यवस्था को बेहतर बनाना और उचित मौके पर दोबारा नियमित सुनवाई शुरू करवाना बतौर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमना की मुख्य ज़िम्मेदारियों में शामिल होगा। वहीं मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट में जजों के 6 पद खाली हैं। इन पदों पर नियुक्ति के लिए सरकार को सिफारिश भेजना भी उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहेगा।


संबंधित खबरें