कानपुर: देश के प्रथम नागरिक के स्वागत को आतुर पैतृक गांव के रहवासी, बदल गई गांव की सूरत
आपकों बता दें कि राष्ट्रपति बैलाही बाजार कस्बा पुखरायां थाना क्षेत्र भोगनीपुर पहुंचेंगे। राष्ट्रपति यहां पर रामस्वरूप ग्रामोद्योग इंटर कॉलेज जाएंगे और कुछ देर विश्राम करने के बाद कॉलेज के मैदान में स्वागत समारोह का कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। कॉलेज में ही लंच करने के बाद अपने दोस्त सतीश मिश्रा के घर स्टेट बैंक के बगल में पुखराया जाएंगे।
कानपुर। देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद। राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार अपने बीमार दोस्त को देखने अपने पैतृक गावं आ रहे है। जो गांव अभी विकास से कोसो दूर था अफसर उसे चमकाने में जुटे है।
वहीं उनके गांव का हर कोई उनसे मिलने उनको देखने को वेताब है। राष्ट्रपति का सख्त प्रोटोकॉल होने के चलते सूची में शामिल लोग ही उनके मिल सकेंगे। जन सभा में पांच हजार लोग सुरक्षित शारीरिक दूरी का पालन के साथ उनकी सभा में शामिल होंगे वहीं महामहिम का 9 गांवों के प्रधान पुष्प देकर स्वागत करेंगे।
परौंख में बनाए गए हैं पांच हेलीपैड
एसपी कानपुर देहात ने बताया कि परौंख में पांच हेलीपैड बनाए गए हैं। तीन हेलीपैड राष्ट्रपति के हेलीकॉप्टर के लिए और एक-एक मुख्यमंत्री और राज्यपाल के लिए हेलीकॉप्टर के लिए हैं। जनसभा वाले कार्यक्रम स्थल के सामने सड़क के दूसरी तरफ पांचों हेलीपैड बनाए गए हैं। इससे कि उतरने के बाद सीधे कार्यक्रम स्थल तक पहुंच सके।
स्पेशल ट्रेन से कानपुर आएंगे राष्ट्रपति
राष्ट्रपति 25 जून को प्रेसिडेंसियल सैलून ट्रेन से कानपुर आएंगे। वह शाम 7 बजे कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुंचने से पहले झींझक स्टेशन और रूरा स्टेशन पर 30-30 मिनट रुकेंगे। दोनों स्टेशनों पर वह अपने परिवार और नजदीकियों से मिलेंगे।
इसके बाद अगले दिन कानपुर से 27 जून को सुबह 9.55 बजे हेलीकॉप्टर से अपने पैतृक गांव परौंख कानपुर, देहात जाएंगे। गांव में कुल देवी पथरी देवी के मंदिर में पूजा में शामिल होंगे। इसके बाद प्राथमिक विद्यालय परौख (मॉडल प्राइमरी स्कूल), आंबेडकर पार्क, बारातशाला, मिलन केन्द्र (जो कि पहले महामहिम का आवास था) और वीरांगना झलकारी बाई इंटर कॉलेज परौंख जनसभा स्थल पहुंचेंगे।
यहां पर आस-पास ग्राम पंचायतों के 9 ग्राम प्रधान राष्ट्रपति का स्वागत करेंगे।आपकों बता दें कि राष्ट्रपति बैलाही बाजार कस्बा पुखरायां थाना क्षेत्र भोगनीपुर पहुंचेंगे। राष्ट्रपति यहां पर रामस्वरूप ग्रामोद्योग इंटर कॉलेज जाएंगे।
कुछ देर विश्राम करने के बाद कॉलेज के मैदान में स्वागत समारोह का कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। कॉलेज में ही लंच करने के बाद अपने दोस्त सतीश मिश्रा के घर स्टेट बैंक के बगल में पुखराया जाएंगे।
पैतृक गांव को चमकाने में जुटे अफसर
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पैतृक गांव में न ही कोई मकान है और न ही कोई परिवार का सदस्य रहता है। इसके बाद भी उन्हें गांव की माटी और वहां के लोगों से इतना लगाव है कि परिवार समेत गांव आ रहे हैं। यहीं उनका जन्म हुआ था।
गांव के लोगों को बेसब्री से इंतजार है। गांव के हर घर में साफ-सफाई और रंग-रोगन का काम चल रहा है। जिस तरह से दीवाली पर हर घर में होता है।राष्ट्रपति के आगमन को लेकर गांव के लोगों में उत्साह के साथ ही उम्मीदें भी हैं।
राष्ट्रपति के बचपन के दोस्त विजय पाल सिंह भदौरिया का कहना है कि गांव में डिग्री कॉलेज खुलवाने के लिए राष्ट्रपति से गुजारिश करेंगे। आस-पास डिग्री कॉलेज नहीं होने से कई बच्चे आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।
पूर्व प्रधान बलवान सिंह ने कहा कि 70 गलियों का इस्टीमेट बनाकर भेजा था। दो साल बाद भी बजट पास नहीं हुआ। गांव के विकास को लेकर भी वह राष्ट्रपति से चर्चा करेंगे। जितने लोग गांव में उतने तरह की चर्चाएं और राष्ट्रपति से अपेक्षाएं लिए बैठे हैं। सभी में एक अलग सा उत्साह देखने को मिला।
गांव की बदल गई सूरत
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 27 जून को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात स्थित अपने जन्मस्थान परौंख गांव आएंगे। राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहला मौका है, जब वे अपने जन्मस्थान आएंगे। उनके आने से पहले महज 10 दिन के भीतर परौंख की सूरत बदल गई।
गांव में चौतरफा इंटरलॉकिंग और खड़ंजा निर्माण, नाला और नाली की सफाई के साथ ही राष्ट्रपति के कुल देवी पथरी देवी मंदिर का जीर्णोंद्वार शुरू हो गया। अफसरों ने गांव में डेरा डाल दिया है। 24 घंटे गांव में विकास कार्य चल रहे हैं।
बदल गई झींझक और रूरा स्टेशन की सूरत
राष्ट्रपति के आने की सूचना मिलने के बाद से सालों से खंडहर पड़े झींझक और रूरा रेलवे स्टेशन के भी दिन बहुर गए। झींझक स्टेशन पर ही राष्ट्रपति अपने परिवार के लोगों और क्षेत्रीय लोगों से 30-30 मिनट रुककर मुलाकात करेंगे।
इसके चलते स्टेशन की मरम्मत के साथ ही रंगाई-पुताई, पंखे, ट्यूबलाइट समेत एक-एक चीज को सुधार दिया गया है। जिसके लिए सालों यात्रियों को संघर्ष करना पड़ रहा था।
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